चूरू जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
Churu District GK / Churu Jila Darshan
चूरू जिला राजस्थान के बीकानेर संभाग में आता है।
चूरू → सर्वाधिक तापान्तर वाला जिला है।
चूरू जिले की स्थापना चूहड़ा जाट ने 1620 ई. में की।
स्वतंत्रता के समय यह बीकानेर रियासत का भाग था।
1 नवम्बर 1956 को पूर्ण एकीकरण के तहत चूरू को जिले का दर्जा मिला।
चुरू जिले का क्षेत्रफल – लगभग 16830 वर्ग किलोमीटर है।
चुरू जिले की मानचित्र स्थिति – 27°24′ से 29°0′ उत्तरी अक्षांश तथा 73°40′ से 75°41′ पूर्वी देशान्तर
चुरू जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 6 हैं, जो निम्न है →
1. सादुलपुर 2. तारानगर
3. सरदारशहर 4. चुरु
5. रतनगढ़ 6. सुजानगढ़
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार चूरू जिले की जनसंख्या के आंकड़े →
कुल जनसंख्या—20,39,547 पुरुष—10,51,446
स्त्री—9,88,101 दशकीय वृद्धि दर—20.3%
लिंगानुपात—940 जनसंख्या घनत्व—147
साक्षरता दर—66.8% पुरुष साक्षरता—78.8%
महिला साक्षरता—54%
चुरू जिले की कुल पशुधन संख्या – 1849833 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
चुरू जिले का कुल पशुघनत्व – 110 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))
राजस्थान के चूरू जिले में कोई नदी नहीं है।
चुरू के वन्य जीव अभयारण्य →
- चूरू जिले में तालछापर झील तथा तालछापर वन्य जीव अभयारण भी है, जो काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है।
- तालछापर वन्य जीव अभयारण कुरंजा पक्षियों के लिये भी प्रसिद्ध है।
चूरू जल परियोजनाएँ →
इंदिरा गाँधी नहर की नौहर-साहवा लिफ्ट नहर चूरू जिले को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध करवाती है।
चूरू जिले के राजगढ़/ सार्दुलपुर तारानगर को राजीव गाँधी सिद्धमुख नौहर परियोजना से जल उपलब्ध होता है।
इंदिरा गांधी नहर की सबसे लम्बी लिफ्ट नहरों में से एक – गंधेली सहाबा लिफ्ट नहर (श्रीगंगानगर से चुरु तक है) है। इसका नया नाम चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर रखा गया है।
चुरू जिले के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल →
चूरू का किला—इस दुर्ग का निर्माण ठा. कुशालसिंह ने (संभवतया 1694 ई. में) करवाया था। अगस्त 1814 ईस्वी में बीकानेर ने चूरू पर चढाई कर दी। युद्ध का आगाज़ हो जाने पर चूरू के ठाकुर शिवजी सिंह ने दुश्मन से जमकर लौहा लिया लेकिन कुछ दिनों बाद इनके पास गोला और बारूद खत्म हो गए। आम लोगों द्वारा दी गई चांदी के गोले बनाकर, इस किले की आजादी की रक्षा के लिए यहाँ के शासक शिवसिंह ने दुश्मनों पर चाँदी के गोले दागे थे। चांदी के गोले दागने वाला किला, चुरु किला है।
सालासर बालाजी का मन्दिर—आसोटा गाँव में हल चलाते वक्त एक किसान बाबा मोहनदास को दाढ़ी-मूंछ युक्त हनुमान जी की मूर्ति मिली, जिसने सुजानगढ़ तहसील के सालासर गाँव में इसका मंदिर बनवाया। यहाँ चैत्र पूर्णिमा को मेला लगता है। यह मंदिर संभवत: दाढ़ी – मूंछ युक्तु हनुमानजी का देश में पहला मन्दिर है।
वेंकटेश्वर/तिरुपति बालाजी का मन्दिर—सुजानगढ़-चूरू। इसका निर्माण वेंकटेश्वर फाउण्डेशन ट्रस्ट के सोहनलाल जानोदिया द्वारा 1994 में डॉ. एम. नागराज एवं डॉ. वैकटाचार्य वास्तुविद् की देख-रेख में इटालियन मार्बल, ग्रेनाईट एवं मकराना मार्बल से दस हजार वर्ग फीट क्षेत्र में करवाया। इसका उद्घाटन-21 फरवरी, 1994—भैरों सिंह शेखावत।
ददरेवा—मुस्लिमों से युद्ध के दौरान गोगाजी का सिर ददरेवा (चूरू) में गिरा। ददरेवा में गोगाजी की शीर्ष मेड़ी/सिद्ध मेड़ी है। गोगाजी का जन्म स्थल भी ददरेवा ही है।
साहवा गुरुद्वारा का संबंध गुरुनानकदेव व गुरु गोविन्द सिंह जी से रहा है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को यहां विशाल मेला लगता है।
द्रोणपुर—द्रोणाचार्य की आश्रम स्थली, गोपालपुर।
मंशा देवी—चूरू क्षेत्र की लोक देवी है।
उत्तराभिमुख सिंधी मंदिर—सुजानगढ़ में स्थित यह मन्दिर कांच की जड़ाई एवं स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इस मन्दिर का पूरा नाम सागर सिन्धी मन्दिर है।
स्थानण—काली मां का मंन्दिर
चूरू जिले के चर्चित व्यक्तित्व →
खेमचन्द्र प्रकाश—सुजानगढ़ निवासी प्रख्यात संगीतकार लता मंगेशकर के गुरु माने जाते हैं।
भरत व्यास—प्रसिद्ध गीत -”ए मालिक तेरे बंदे हम”।
कर्नल किशन सिंह राठौड़— भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 में बहादुरी के लिए महावीर चक्र विजेता (1948) में।
गौरव शर्मा—गौरव शर्मा ने 20 मई, 2009 को माउण्ट एवरेस्ट फतह किया। चूरू निवासी गौरव शर्मा व जयपुर निवासी हरनाम सिंह ने अफ्रीका महाद्वीप की सर्वोच्च चोटी किलीमंजारो पर तिरंगा फहराया।
चौथमल—चन्दवनकला को राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाया।
पवन कुमार तावणियां-सुनामी की सूचना देने वाला यन्त्र
कृष्णा पूनियाँ—चूरू की पूनियाँ (जन्म हरियाणा में) ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। (2011 में पद्मश्री)
कन्हैया लाल सैठिया—राजस्थानी भाषा के भीष्म पितामह, रचनाएँ—लीलटांस, पाथल व पीथल, धरती धोरां री, घास री रोटी, सबद आदि। (पद्मश्री)
देवेन्द्र झाझडिय़ा—एथेंस पैरा ओलम्पिक 2004 तथा रियो पैरा ओलम्पिक 2016 में स्वर्ण पदक। 2012 में पद्म श्री से सम्मानित।
भवानी शंकर कथक—पखावज के जादूगर।
हनुमान प्रसाद पोद्दार—कल्याण पत्रिका के 44 अंक
चुरू जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य →
राजस्थान का सर्वाधिक ठंडा व गर्म जिला चूरू।
सहकारी क्षेत्र का राज्य का प्रथम महिला मिनी बैंक-सालासर (चूरू) में है।
1930 में चांदमल बहड़ ने धर्मस्तूप नामक स्थान पर भारतीय स्वतन्त्रता का झण्डा फहराया था। धर्मस्तूप को लाल घण्टाघर भी कहते है।
प्रसिद्ध उद्योगपति लक्ष्मीनिवास मित्तल सुजानगढ़ (चूरू) निवासी है।
दूधवा खारा स्थान चूरू में है। दूधवा खारा किसान आंदोलन का नेतृत्व रघुवरदयाल गोयल, वैद्य मघाराम तथा हनुमानसिंह आर्य ने किया था।
राज्य में सबसे कम वन-चूरू में है।
गोयनका की हवेली चूरू में है।
कबूतरी नृत्य चूरू का प्रसिद्ध है।
चूरू में पीला पोमचा व औढ़नी की रंगाई होती है।
पालर पानी – राजस्थान का चूरू जिला वर्षा जल (पालर पानी) के संग्रहण हेतु अनूठी कार्ययोजना को क्रियान्वित करने वाला एकमात्र जिला है।
प्रोजेक्ट जलधारा – लक्ष्मी मित्तल ने राजगढ़ (सादुलपुर) कस्बे और 168 गाँवों में पीने का पानी लाने की योजना।
ओलमा – राजस्थानी भाषा के उत्थान व आंचलिक साहित्य को मुखर करती वह पत्रिका जो चूरू से सम्बन्धित है।
तारानगर – भित्ति चित्रों हेतु प्रसिद्ध तथा रामदेव जी का मेला भी लगता है।
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