चित्तौड़गढ़ जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
Chittorgarh District GK / Chittorgarh Zila Darshan
चित्तौड़गढ़ के उपनाम → राजस्थान का गौरव, खिज्राबाद, शक्ति और भक्ति का नगर आदि नामों से चित्तौड़गढ़ को जाना जाता है।
चित्तौड़गढ़ जिले की मानचित्र के अनुसार स्थिति – 24°13′ से 25°13′ उत्तरी अक्षांश तथा 74°04′ से 75°53′ पूर्वी देशान्तार
चित्तौड़गढ़ जिले का क्षेत्रफल – 10856 वर्गकिलोमीटर है।
चित्तौड़गढ़ जिले का कुल वनीय क्षेत्रफल – 1120.75 वर्गकिलोमीटर है।
घोड़ी की नाल के समान तथा इल्ली के समान आकार वाला जिला चित्तौड़ है।
मौर्यों के वंशज चित्रांग (चित्रांगद मौर्य) ने ‘चित्रकूट पहाड़ी’, के मेसा पठार पर चितौडगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था। चित्रांगद के नाम पर इस स्थान का नाम ‘चित्रकूट’ पड़ा, जिसका अपभ्रंश चित्तौड़ है।
मेवाड़ के प्रचीन सिक्कों पर भी चित्रकूट शब्द- मुद्रित मिलता है।
कर्नल टॉड के अनुसार सन् 728 ईसवी में बापा रावल ने इस दुर्ग को राजपुताने पर राज्य करने वाले मौर्य से छिनकर गुहिलवंशीय राज्य की स्थापना की।
मेवाड़ के कूल पुरुष गुहिल (गुहदत्त) के बाद प्रसिद्धि और वीरता में बापा रावल का नाम आता है।
चित्तौड़गढ़ जिले में कुल पांच (5) विधानसभा क्षेत्र है, जो निम्न है –
1. कपासन 2. बेंगु
3. चित्तौडग़ढ़ 4. निम्बाहेड़ा
5. बड़ी सादड़ी
चित्तौड़गढ़ में उपखण्ड – 7
चित्तौड़गढ़ में तहसीलें – 10
चित्तौड़गढ़ में उपतहसीलें – 4
चित्तौड़गढ़ में ग्राम पंचायतें – 288
चित्तौड़गढ़ में पंचायत समितियां – 11
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले की जनसंख्या के आंकड़े निम्नानुसार है –
कुल जनसंख्या—15,44,338 पुरुष—7,83,171
स्त्री—7,61,167 दशकीय वृद्धि दर—16.1%
लिंगानुपात—972 जनसंख्या घनत्व—197
साक्षरता दर—61.7% पुरुष साक्षरता—76.6%
महिला साक्षरता—46.5%
चित्तौड़गढ़ जिले का कुल पशुधन – 1377269 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
चित्तौड़गढ़ जिले का कुल पशु घनत्व – 127 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))
चित्तौड़गढ़ जिले की प्रमुख नदियाँ →
चम्बल नदी—चम्बल नदी राजस्थान में चौरासीगढ़ (चित्तौडगढ़) में प्रवेश करती है, भैंसरोगढ़ के समीप चम्बल नदी पर ‘चूलिया जलप्रताप’ (राजस्थान का सबसे ऊँचा–18मी.) है। रावतभाटा (चित्तौडग़ढ़) में चम्बल नदी पर राणा प्रताप सागर बाँध है जो जल भराव की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध है।
बामनी नदी—उद्गम-चित्तौडग़ढ़ के हरिपुरा गाँव से हुआ है। भैंसरोड़गढ़ के समीप चंबल में मिल जाती है। यह लगभग 25 किमी. लम्बीआ है।
चित्तौड़गढ़ की अन्य नदियाँ → बनास, बेड़च, गुंजाल, बागन, औराई, गम्भीरी, सीबना, जाखम आदि
चित्तौड़गढ़ के अन्य जलाशय—
भोपालसागर – इसका निर्माण-महाराणा भूपाल सिंह।
राणा प्रताप सागर – राणा प्रताप सागर बाँध राजस्थान में चूलिया जलप्रपात के पास बनाया गया है। इस बाँध की ऊँचाई 54 मीटर है। यह बाँध गाँधीसागर बाँध से 48 कि.मी. नीचे चूलिया प्रपात के निकट स्थित है। भैंसरोड़गढ़ के निकट ही चूलिया प्रपात है। राणा प्रताप सागर बाँध काफ़ी बड़ा है। अतः यह राजस्थान राज्य का सबसे अधिक क्षमता वाला व सबसे लम्बा (1100 मीटर) बाँध है। यहाँ पर 43 मेगावाट की चार विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं।
वन्य जीव अभयारण्य →
सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य—मुख्य रूप से यह अभयारण प्रतापगढ़ में है। इसका क्षेत्र प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ तथा उदयपुर जिलों में आता है। इसे 2 फरवरी, 1979 को वन्य जीव अभयारण्य का दर्जा मिला, उपनाम-चीतल की मातृभूमि। सागवान वनों वाला एकमात्र अभयारण। उड़न गिलहरी हेतु प्रसिद्ध। यहाँ चौसिंगा हिरण (भेड़ल) पेंगोलिन (आडा-हुआ) भी पाये जाते हैं। राजस्थान में सर्वाधिक जैवविविधता वाला अभयारण्य है। लोक मान्यता के अनुसार इसी अभयारण्यं में वाल्मीकि आश्रम था।
बस्सी अभयारण—इसे 29 अगस्त, 1988 को अभयारण्य घोषित किया गया। बस्सी के आसपास के जंगल बाघों के विचरण हेतु विख्यात रहे हैं।
भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य—5 फरवरी, 1983 को भैंसरोड़गढ़ के आसपास के वन प्रदेश को अभयारण्य बनाया गया। यह वन क्षेत्र एक लम्बी पट्टी के रूप में चम्बल एवं ब्राह्मणी नदी के साथ फैला हुआ है। यह राणाप्रताप सागर बांध के समीप है तथा घड़ियालों के लिए प्रसिद्ध है।
चित्तोड़गढ़ मृगवन—यह मृगवन चित्तोड़गढ़ दुर्ग के दक्षिणी छोर पर किले की प्राचीरों के सहारे सन् 1969 को स्थापित किया गया था।
चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल →
चित्तौडग़ढ़ दुर्ग (Chittorgarh Durg)→ निर्माण-चित्रांग मौर्य, यह राजस्थान का सबसे बड़ा प्रथम लिविंग फोर्ट है, एकमात्र ऐसा किला जिसमें खेती की जाती थी। कथन-“गढ़ तो चित्तौड़ बाकी सब गढैया”। इसका आधुनिक निर्माता-कुम्भा।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग जिसकी आकृति एक विशाल व्हेल मछली के समान है, समुद्र तल से एक हजार 810 फीट ऊंचे पठार पर निर्मित है। इसकी लम्बाई 5.6 किलोमीटर तथा चोड़ाई 0.8 किलोमीटर है। इसका क्षेत्रफल लगभग 28 वर्गकिमी. तथा दुर्ग की परिधि लगभग 13 किमी. है। दुर्ग पर जाने के लिए सात प्रवेश द्वारों से गुजरना पड़ता है।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रमुख साके—
पहला साका—1303 ई.अलाउद्दीन खिलजी व रत्नसिंह के मध्य, रत्न सिंह ने केसरिया किया एवम् उसकी रानी पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ जौहर किया। अलाउद्दीन ने इस दुर्ग का नाम खिज्राबाद रखा। (जौहर मेला)
दूसरा साका—गुजरात के बहादुरशाह एवं मेवाड़ के विक्रमादित्य के मध्य 1534 (1535) में युद्ध हुआ था। बाघसिंह ने केसरिया एव रानी कर्मावती ने जौहर किया। इस समय कर्मावती ने सहायता हेतु हूमायुं को राखी भेजी थी।
तृतीय साका—1568 में, अकबर व उदयसिंह ने मध्य युद्ध हुआ। जयमल व फता ने केसरिया किया एवं फता की पत्नी फूलकंवर ने जौहर किया।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रमुख मन्दिर –
मीरां मन्दिर—इसमें मीरां की प्रतिमा के स्थान पर केवल एक तस्वीर है, इसके सामने रैदास की छतरी है।
समिद्धेश्वर/ मोकल जी का मन्दिर—निर्माण मालवा के राजा भोज ने तथा पुनर्निर्माण मोकल ने करवाया।
कालिका माता मन्दिर—मूलत: सूर्य मन्दिर, 7वीं सदी।
कुंभश्याम मन्दिर—निर्माण-कुम्भा, इसमें विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा है।
तुलजाभवानी—निर्माण बनवीर ने अपने तुलादान के धन से करवाया। यह शिवाजी की आराध्य देवी थी।
शृंगार चंवरी—यहाँ कुम्भा की पुत्री रमाबाई की चंवरी बनी हुई है। राजपूत व जैन स्थापत्य कला का नमूना।
सतबीसी जैन मंदिर—27 छोटे-छोटे मन्दिर
विजय स्तम्भ → इसका निर्माण कुम्भा ने महमूद खिलजी के खिलाफ 1437 ई. में सांरगपुर विजय के उपलक्ष में महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में सन् 1441 से 1449 के मध्यग करवाया। यह डमरू के आकार है।
विजय स्तम्भ के उपनाम—हिन्दू मूर्तिकला का विश्वकोष, मूर्तियों का अजायबघर, विक्ट्री टॉवर। इसका आधार 30 फीट, ऊँचाई-122 फीट, मंजिले-9, 157 सीढ़ियां है। तीसरी मंजिल पर 9 बार ‘अल्लाह’ शब्द अरबी भाषा में लिखा है।
विजय स्तम्भ के शिल्पकार-जैता व उसके पुत्र नापा, पूँजा, पोमा।
विजय स्तम्भ, राजस्थान की प्रथम इमारत जिस पर 15-08-1949 को डाकटिकट (1 रू. का) जारी हुई। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व राजस्थान पुलिस का प्रतीक।
कीर्ति स्तम्भ → इस स्मारक का निर्माण बारहवीं शताब्दी में दिगम्बर सम्प्रदाय के बघेरवाल महाजन सानाय के पुत्र जीजा ने करवाया। यह 75 फीट ऊँचा, 7 मंजिला स्मामरक है। इसकी प्रशस्ति लिखने का कार्य अत्रिभट्ट व इसके पुत्र महेश भट्ट ने किया।
पद्मिनी महल → सूर्य कुण्ड के दक्षिण में तालाब के किनारे रानी पद्मिनी के महल बने ये हैं। एक छोटा महल तालाब के बीच में बना है। पद्मिनी महल के कमरे में एक बड़ा कांच लगा है जिसमें पानी के बीच वाले महल में खड़े व्यक्ति का प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखाई देता है।
भैंसरोडगढ़ दुर्ग → निर्माणकर्ता—भैंसाशाह व रोडा चारण। यह चम्बल व बामनी नदियों के संगम स्थल पर। उपनाम-‘राजस्थान का वैल्लोर’। एकमात्र दुर्ग जिसका निर्माण व्यापारी ने करवाया।
चित्तौड़गढ़ के विशेष महत्त्वपूर्ण तथ्य →
सांवलिया जी का मन्दिर-मण्डफिया गांव में है, जहाँ जलझूलनी एकादशी को मेला भरता है। (अफीम मन्दिर)
मातृकुण्डिया मेला-राशमी पंचायत समिति क्षेत्र में स्थित हरनाथपुरा गांव में प्रतिवर्ष वैसाखी पूर्णिमा को मातृकुण्डिया का मेला भरता है। यह ‘मेवाड़ का हरिद्वार’ के नाम से प्रसिद्ध है। लोकमान्यता के अनुसार भगवान परशुराम ने अपनी माता की हत्या के अपराध से मुक्ति हेतु मातृकुण्डिया जलाशय में स्नान किया था। श्रद्धालु यहां स्वर्गस्थ परिजनों की अस्थियों का विसर्जन तथा पिण्डदान एवं तर्पण करते है।
दशहरा मेला-निम्बाहेड़ा नगर में प्रतिवर्ष आसोज शुक्ल प्रतिपदा से दशमी तक विख्यात दशहरा मेला लगता है।
प्रसिद्ध लोकदेवता रामदेवजी का एक मन्दिर सुरताखेड़ा (चित्तौडगड़ में भी है)
हजरत दीवान शाह की दरगाह—कपासन, चित्तौडग़ढ़ में है।
घोसुण्डी शिलालेख-चितौडग़ढ़ में है, जिसे पहली बार डी.आर.भण्डारण ने पढ़ा, इस शिलालेख से वैष्णव सम्प्रदाय की जानकारी मिलती है।
मानमोरी का शिलालेख-इसे कर्नल टॉड ने समुद्र में फैंका था। इसमें अमृत मंथन का उल्लेख है।
चित्तौड़ का लेख—इसके अनुसार देवालय (मंदिरों) में स्त्रियों का प्रवेश निषेध था।
पन्नाधाय ने अपने पुत्र चंदन का बलिदान ‘कुंभा के महल’ में दिया था।
गोरा-बादल महल, नवलखा बुर्ज, जयमल की हवेली चित्तौडग़ढ़ दुर्ग में है।
जाजम प्रिंट/दाबू प्रिंट—आकोला के प्रसिद्ध है। आकोला के छपाई के घाघरे प्रसिद्ध हैं। बेवाण (मौण), लकड़ी की कावड़, मिट्टी के खिलौने-बस्सी (चित्तौडग़ढ़ ) के प्रसिद्ध हैं।
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन द्वारा साक्षरता के क्षेत्र में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च पुरस्कार ”सत्येन मैत्रेय पुरस्कार” 2007 में चित्तौडगढ़ को दिया।
राजस्थान में खाट आन्दोलन-अचलपुरा (भदेसर, चित्तौडगढ़) से चलाया।
नटों की सबसे बड़ी बस्ती-सज्जनखान का डेरा, निम्बाहेड़ा, चित्तौड़ में है।
राजस्थान की निजी क्षेत्र में प्रथम चीनी मिल-द मेवाड़ शुगर मिल्स लिमिटेड—1932 में, चित्तौडग़ढ़ के भोपालसागर में है।
JK सीमेंट कारखाना-निम्बाहेड़ा, चित्तौडगढ़, राज्य में सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक केन्द्र।
रावतभाटा—1960 के दशक में कनाडा की एईसीएल कंपनी की सहायता से इस स्थान को परमाणु ऊर्जा केन्द्र के रूप में बदला गया। भारत का दूसरा अणुशक्ति केन्द्र। रावतभाटा, राजस्थान की अणु नगरी के नाम से प्रसिद्ध है।
सुपर जिंक स्मेलटर प्लांट-चंदेरिया में है। यह ब्रिटेन की सहायता से स्थापित है।
राजस्थान में सफेद सीमेंट का तीसरा कारखाना—मांगरोल चित्तौड़ में है।
आदिवासियों के मसीहा, बावजी, मेवाड़ के गाँधी के नाम से प्रसिद्ध मोतीलाल तेजावत ने एकी आन्दोलन की शुरूआत मातृकुण्डिया से की इसमें भीलों की 21 माँगों का जिक्र किया जिसे ‘मेवाड़ पुकार’ की संज्ञा दी गई।
कोमल कोठारी—कपासन इनकी जन्मस्थली है। ये देश के शीर्षस्थ लोक कला मर्मज्ञों में से एक रहे हैं।
तुर्रा कलंगी—ख्याल चितौडग़ढ़ का प्रसिद्ध है।
राजस्थान के जिलों का सामान्य ज्ञान/चित्तौड़गढ़ जिलें का सामान्य ज्ञान
thanks
Sir ;chittorgarh ki history Mharanaprtap ke bina aduri he.
Sir aap ki wep said se Rajasthan ke hajaro students competition ki teyari kar rahe he.
Mera aap se aanu rod he ki aap Rajasthan ke Districts ki puri history apni wep said par dale.Taking kisi bhi student ko future me Rajasthan ki history se sambandit koi samsya na jelni pade.
Aap ne bahu aachi wep said banai he lekin is me kouch trutiya he ya kamiya he jise please aap sahi kar dijiye.
Kst ke liye sorry.
Thanks.
Sir ;chittorgarh ki history Mharanaprtap ke bina aduri he.
Sir aap ki wep said se Rajasthan ke hajaro students competition ki teyari kar rahe he.
Mera aap se aanu rod he ki aap Rajasthan ke Districts ki puri history apni wep said par dale.Taking kisi bhi student ko future me Rajasthan ki history se sambandit koi samsya na jelni pade.
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Kst ke liye sorry.
Thanks.
Ap se anirodh h ki jila darshan lekh me pura itihash avm ush jile ki bholiya soil type jarur add kre