बूंदी जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
Bundi District GK / Bundi Jila Darshan
बूंदी के उपनाम – बावडिय़ों का शहर, राजस्थान की काशी, छोटी काशी, द्वितीय काशी तथा बून्दु का नाला कहते है।
बूंदी की स्थापना – लोकमान्यता के अनुसार बूँदी की स्थापना ‘बूंदा मीणा’ ने की। सन् 1342 में देवा ने बूँदी में चौहान वंश की स्थापना की।
बूंदी की मानचित्र के अनुसार स्थिति – 24°59’11 से 25°33’11 उत्तरी अक्षांश तथा 75°19’30 से 76°19’30 पूर्वी देशान्तार
बूंदी का क्षेत्रफल – लगभग 5776 वर्गकिलोमीटर है।
नगरीय क्षेत्रफल – 176.83 वर्गकिलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 5599.17 वर्गकिलोमीटर
बूंदी में कुल वनीय क्षेत्रफल – 1495.65 वर्गकिलोमीटर
हाड़ा चौहानों का प्रभुत्व होने के कारण यह क्षेत्र ‘हाड़ौती’ कहलाया।
बूँदी के शासक बुद्ध सिंह की रानी आनन्द कुंवरी ने मराठों को राजस्थान में आने का पहली बार निमन्त्रण दिया था।
बूँदी के विष्णु सिंह ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ सहायक संधि की।
बूंदी जिले में कुल तीन (3) विधानसभा क्षेत्र है, जो निम्न है –
1. हिण्डोली 2. केशवरायपाटन 3. बूंदी
बूंदी में उपखण्डों की संख्या – 5
बूंदी में तहसीलों की संख्या – 5
बूंदी में ग्राम पंचायतों की संख्या – 181
बूंदी में पंचायत समितियों की संख्या – 7
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बूंदी जिले की जनसंख्या के आंकड़े –
कुल जनसंख्या—11,10,906 पुरुष—5,77,160
स्त्री—5,33,746 दशकीय वृद्धि दर—15.4%
लिंगानुपात—925 जनसंख्या घनत्व—192
साक्षरता दर—61.5% पुरुष साक्षरता—75.4%
महिला साक्षरता—46.6%
बूंदी जिले का कुल पशुधन – 961740 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
बूंदी जिले का कुल पशु घनत्व – 167 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))
बूंदी की नदियाँ →
घोड़ा-पछाड़ नदी-बूँदी की एक (बिजलियां/बिजौलिया) झील से निकलकर सांगवाड़ा (बूँदी) में मांगली नदी में मिल जाती है।
अन्य नदियाँ—चम्बल, मांगली, मेज, कुराल, तालेड़ा आदि।
बूंदी के प्रमुख जलाशय—नवलसागर (नौलखा) उम्मेद सिंह द्वारा निर्मित। कनकसागर-इसे दुगारी झील भी कहते हैं।
गरदड़ा सिंचाई परियोजना-होसलपुर गाँव के नजदीक स्थित है।
गुढ़ा सिंचाई परियोजना—मेज नदी पर।
चाकण बाँध—गुढ़ा गाँव में मिट्टी से निर्मित बाँध।
बूंदी जिले के अन्य बांध एवं झीले – नवलसागर, नवलखां, जैतसागर, इन्द्राणी, भीमतल, फूलसागर, गुढ़ा बांध, हिण्डोवली, गंगासागर, नमाना, चांदोलिया, अभयपुरा, पेच की बावड़ी तथा बरधा डेम आदि है।
बूंदी जिले के अभयारण्य →
रामगढ़ विषधारी अभयारण—बूंदी जिले में यह अभयारण्य 307 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। यह साँपों की शरणस्थली के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बाघ, नीलगाय, हिरण, बघेरा, जंगली मुर्गे, रीछ, जंगली कुत्ते तथा 500 प्रकार के अन्य जीव पाये जाते हैं।
कनक सागर / दुगारी पक्षी अभयारण्य—लगभग 72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। कनक सागर पक्षी अभयारण्य की घोषणा वन्यय जीव विभाग द्वारा 1987 में की गई थी। इसमें हंस, सारस, जलमुर्गी, स्नेयक बर्ड, गैरेट आदि है।
बूंदी के दर्शनीय एवं ऐतिहासिक स्थल →
चौरासी खम्भों की छतरी—इसे धाबाई की छतरी के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण अनिरुद्ध के भाई देवा हाड़ा (अनिरुद्ध सिंह के धाबाई देवा की स्मृति में) ने करवाया।
रानी जी की बावड़ी—अनिरुद्ध की रानी नाथावती ने इसका निर्माण करवाया। यह राजस्थान की सबसे लम्बी बावड़ियों में से एक है।
तारागढ़/तिलस्मी किला→सन् 1354 ई. में राव बरसिंह ने इसका निर्माण करवाया। यह दुर्ग 1426 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। इस दुर्ग का एक नक्शा सिटी पैलेस (जयपुर) में रखा हुआ है। इस दुर्ग में एकमात्र भीम बुर्ज (चौबुर्ज) स्थित है। जिसमें 16वीं सदी की सबसे शक्तिशाली गर्भ गुंजन तोप रखी हुई है। तारागढ़ के बारे में रूपयार्ड क्लिपिंग का कथन-“इस दुर्ग का निर्माण शायद भूत प्रेतों ने करवाया” इस दुर्ग में रंगविलास महल (चित्र शाला) है। जिसका निर्माण उम्मेद सिंह ने करवाया।
मेवाड़ के शासक लाखा ने तारागढ़ दुर्ग को जीतने की प्रतिज्ञा ली थी लेकिन वह इसे नहीं जीत सका तो बेबस लाखा ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए मिट्टी का नकली किला बनाकर इसे जीतकर प्रतिज्ञा पूरी की थी।
इन्द्रगढ़ दुर्ग बूँदी में है।
कर्नल टॉड के अनुसार-”रजवाड़ों के राजाप्रसादों में बून्दी के राजमहलों के सौन्दर्य सर्वश्रेष्ठ’’ है।
बूँदी के हाड़ा शासकों की छतरियाँ क्षार बाग में बनी हुई है।
केशवराय मंदिर—केशवरायपाटन। केशवरायपाटन में हजरत शेख अब्दुल अजीज मक्की की प्राचीन दरगाह है।
कपालीश्वर मंदिर—इन्द्रगढ़ में है।
बूंदी के चर्चित व्यक्तित्व →
सूर्यमल्ल मिश्रण—बूँदी के (राज्य कवि) महाराव रायसिंह के दरबारी कवि। इन्हें रसावतार कहा जाता है। इन्हें राजस्थान का वेदव्यास भी कहते है। प्रमुख कृतियाँ—वंश भास्कर, वीर सतसई।
नानक भील—डाबी किसान आन्दोलन 1922 के नेतृत्वकर्ता प. नयूनराम शर्मा के नेतृत्व में डाबी में हो रही सभा में नानक भील ने झण्डा गीत गाया। इस पर पुलिस अधीक्षक इकरार हुसैन ने गोली चलाई और नानक जी वहीं पर शहीद हो गए।
ऋषिदत्त मेहता—बूँदी राज्य लोक परिषद् के स्थापनाकर्ता।
किशनलाल सोनी—बूँदी में रेल लाने का श्रय, रेलबाबा
हाड़ी रानी सलह कँवर बूँदी के जागीरदार संग्राम सिंह की पुत्री थी। इन्होंने अपने पति सलूम्बर निवासी चूंडावत को अपना सिर काटकर निशानी के रूप में दिया था। प्रसिद्ध उक्ति—”चूंडावत माँगी सैनाणी, सिरकाट दे दियो क्षत्राणी’’।
हाड़ी रानी जसवन्त दे (बूँदी के शासक शत्रुशाल की पुत्री) ने अपने पति जोधपुर महाराजा जसवन्त सिंह को धरमत युद्ध में घायल होकर लौटने पर खाना चाँदी के पात्रों के बजाय लकड़ी के पात्र में परोसा।
बूंदी जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य →
राजस्थान राज्य की एकमात्र सहकारी चीनी मिल-सहकारी शुगर मिल्स लिमिटेड-केशवरायपाटन बूँदी में 1965 में स्थापित हुई।
राज्य का प्रथम सीमेंट कारखाना-ACC सीमेंट उद्योग, लाखेरी, स्थापना-1912-13. स्थापनाकर्ता-क्लिक निक्सन कम्पनी।
देश की प्रथम बर्ड राइडर रॉक पैटिंग गरदड़ा गाँव में छाजा नदी (गरड़दा) के किनारे प्राप्त हुई।
प्रतिवर्ष 24 जून को बूँदी महोत्सव मनाया जाता है।
कजली तीज बूँदी की प्रसिद्ध है। भादों (भाद्रपद) माह में तीज तिथि को आयोजित इस मेले में गौरी माता की सवारी पूरे लवाजमे के साथ शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती है।
प्रसिद्ध लोकदेवता वीर तेजाजी की कर्मस्थली-बाँसी दुगारी है।
कंजरों की आराध्य देवी रक्तदंजी माता-संतूर, बूँदी।
वंश भास्कर-इसके अधूरे छोड़े गये कार्य को मुरारीदीन ने पूरा किया था।
राजस्थान का प्रथम साहित्यिक पत्र-सर्वहित के संपादक मेहता लज्जाराम बूँदी के निवासी है।
सती प्रथा पर पहली बार रोक 1822 ई. में बूँदी रियासत ने लगाई।
भीमताल जल प्रपात माँगली नदी पर बूँदी में है।
बूँदी चित्रशैली (Bundi Ki Chitrakala)-भित्ति चित्रों का स्वर्ग कहलाती है। वर्षा में नाचता हुआ मोर इस शैली की प्रमुख विशेषता है। बूंदी चित्रशैली का प्रारम्भत सुर्जन सिंह हाड़ा से माना जाता है। इस शैली में चित्र बनाने के लिए उम्मेद सिंह ने बूंदी में चित्रशाला की स्थापना की थी। बूंदी शैली में सर्वाधिक पशु-पक्षियों का चित्रण हुआ, इसलिए इसे पक्षी शैली भी कहते हैं। बूँदी शेली में रंगों की बजाय रेखाओं पर अधिक ध्यान दिया गया है। राजस्थान की एकमात्र ऐसी शैली जिसमें मोर के साथ सर्प का चित्रण है।
बूंदी चित्रकला शैली के प्रमुख चित्रकार → सुरजन, अहमद अली, रामलाल इत्यादि थे।
राजस्थान के जिलों का सामान्य ज्ञान/बूंदी जिले का सामान्य ज्ञान →