बीकानेर जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
(Bikaner District GK in Hindi/Bikaner Zila Darshan)
बीकानेर के उपनाम – राती घाटी, जाँगल प्रदेश, ऊँटों का देश है।
बीकानेर की स्थापना →
राव जोधा के पाँचवे पुत्र राव बीका ने ‘करणी माता’ के आशीर्वाद से वैशाख शुक्ल तृतीया को 1488 ई. में बीकानेर की नींव रखी।
बीकानेर एकीकरण के चतुर्थ चरण (30 मार्च, 1949) में वृहद राजस्थान में शामिल हुआ है।
बीकानेर की मानचित्र स्थिति – 27°11′ से 28°3′ उत्तरी अक्षांश एवं 71°54′ से 74°12′ पूर्वी देशान्तर।
बीकानेर का क्षेत्रफल – लगभग 27,244 वर्ग किलोमीटर है।
नगरीय क्षेत्रफल – 181.91 वर्ग किलोमीटर एवं ग्रामीण क्षेत्रफल – 27062.09 वर्ग किलोमीटर
बीकानेर में तहसीलों की संख्या – 7, उपतहसील – 1, उपखण्ड – 5 एवं ग्राम पंचायत – 189
बीकानेर में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 7 (सात) हैं, जो निम्न है –
1. खाजूवाला 2. बीकानेर पश्चिम
3. बीकानेर पूर्व 4. कोलायत
5. लूणकरणसर 6. डूंगरगढ़
7. नोखा
2011 की जनगणना के अनुसार बीकानेर की जनसंख्या के आंकड़े –
कुल जनसंख्या—23,63,937 पुरुष—12,40,801
स्त्री—11,23,136 दशकीय वृद्धि दर—24.3%
लिंगानुपात—905 जनसंख्या घनत्व—78
साक्षरता दर—65.1% पुरुष साक्षरता—75.9%
महिला साक्षरता—53.2%
बीकानेर में कुल पशुधन – 2773315 (Bikaner LIVESTOCK CENSUS 2012)
बीकानेर में कुल पशुघनत्व – 102 (LIVESTOCK DENSITY in Bikaner (PER SQ. KM.))
बीकानेर जिले में कोई भी नदी नहीं है।
बीकानेर की झीलें →
कोलायत झील – यह झील कोलायत नामक स्थान पर है। इसे ‘शुष्क मरुस्थल का सुंदर उद्यान’ कहते हैं। इस झील के किनारे पर सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिलमुनि का आश्रम है। जिसे मारवाड़ का सुन्दर मरु उद्यान कहते हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार कपिलमुनि ने अपनी माता की मुक्ति के लिए यहाँ से ‘पाताल गंगा’ निकाली जिसे वर्तमान में कपिल सरोवर कहते हैं। यहाँ पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है। इस अवसर पर इस झील में दीपदान करने की धारणा है। करणी माता का दत्तक पुत्र लखन (गोद लिया हुआ) इस झील में डूब गया था इसके कारण चारण जाति के लोग आज भी यहाँ नहीं जाते हैं।
गजनेर झील – यह गजनेर अभयारण में स्थित है। इस झील को ‘पानी का शुद्ध दर्पण’ भी कहते हैं। बीकानेर में स्थित गजनेर अभयारण जंगली तीतरों के लिए प्रसिद्ध है।
अन्य झीलें – अनूपसागर, सूरसागर।
इंदिरा गाँधी नहर की चार लिफ्ट नहरें बीकानेर में है- बांगड़सर लिफ्ट नहर (वीर तेजाजी), गजनेर (पन्नालाल बारूपाल), कोलायत (करणीसिंह), लूणकरणसर (कंवर सेन)।
कंवरसेन लिफ्ट नहर बीकानेर की जीवन रेखा कहलाती है।
बीकानेर के ऐेतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल →
बीकानेर शहर—प्राचीन समय में इसे राती घाटी के नाम से जाना जाता था। विक्रम संवत् 1542 को राव बीका ने राती घाटी के एक टीले पर अपने लिए एक छोटा सा किला बनवाया था, जहाँ वर्तमान में लक्ष्मीनाथ जी के मन्दिर के सामने गणेश मन्दिर है। इस किले को बीका की टेकरी कहा जाता था।
जूनागढ़ दुर्ग—
उपनाम—जमीन का जेवर/बीकाजी की टेकरी/राती घाटी का दुर्ग, इस चतुष्कोणीय स्थल व धान्वन दुर्ग की नींव राव बीका ने 1488 ई. में अक्षय तृतीया के दिन करणी माता (रिद्धि बाई) के आशीर्वाद से रातीघाटी में रखी थी। इस दुर्ग में राजस्थान में पहली बार लिफ्ट लगी थी। इस दुर्ग में हिन्दु तथा मुस्लिम शैली का समन्वय है, इस दुर्ग का पुनर्निर्माण रायसिंह ने करवाया था। जूनागढ़ के बारे में कहा जाता है कि ”दीवारों के कान भी होते हैं लेकिन जूनागढ़ की तो दीवारें भी बोलती हैं।”
जूनागढ़ दुर्ग के प्रवेश द्वार—
सूरजपोल—इस प्रवेश द्वार पर रायसिंह प्रशस्ति के दोनों ओर जयमल व फता की मूर्तियां लगी हुई है।
कर्णपोल—पूर्वीद्वार, चांदपोल-पश्चिमी द्वार।
जूनागढ़ दुर्ग के दर्शनीय स्थल—
छत्र निवास—यह सुन्दर लकड़ी की छत तथा कृष्ण की रास लीलाओं के लिए प्रसिद्ध है।
लालगढ़ पैलेस—महाराजा गंगासिंह ने अपने पिता लालसिंह की स्मृति में बनवाया।
अनूप महल—अनूपसिंह द्वारा निर्मित इस इमारत में बीकानेर के शासकों का राजतिलक होता था तथा इस इमारत में सोने की कलम से काम किया हुआ है।
गजमन्दिर महल तथा फूलमहल—शीशे की बारीक कटाई व फूल पत्तियों के सजीव चित्रांकन के लिए प्रसिद्ध है।
सूरसागर—इसका निर्माण सूरसिंह ने करवाया। इस झील का पुनर्निर्माण वसुन्धरा राजे ने करवाया तथा इसमें 15.8.2008 को नौकायन का उद्घाटन किया। इस दुर्ग में घण्टाघर, हैराम्ब गणपति (सिंह सवार गणेश), हर मन्दिर, 33 करोड़ देवी देवताओं की मूर्तियां तथा सरस्वती प्रतिमा आदि स्थित है।
कोलायत मेला—सांख्य दर्शन के प्रणेता की तपोभूमि, यहाँ पर कपिल मुनि का मन्दिर है यहाँ कार्तिक माह में पाँच दिवसीय मेला भरता है। (कार्तिक पूर्णिमा)
करणी माता का मन्दिर देशनोक—चूहों वाली देवी। इसका मेला चैत्र व आश्विन के नवरात्रों में लगता है। करणी माँ का बचपन का नाम रिद्धिबाई था। बीकानेर के राठौड़ों व चारणों की कुल देवी। सफेद चूहे को काबा कहा जाता है। माता के मन्दिर परिसर में सावन-भादौं कड़ाईयाँ है। (नोट—सम्पूर्ण सफेद चूहों वाला माता का मन्दिर जोधपुर में है।) करणी माता का पुजारी-बीठू।
लोकदेवता बिग्गाजी—बिग्गाजी जाट ने मुस्लिम लुटेरों से गायें छुड़ाते हुए अपने प्राणों का बलिदान किया। प्रतिवर्ष 14 अक्टूबर को बिग्गा गाँव (बीकानेर) में इनका मेला लगता है।
मुकाम—विश्नोई सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ मुकाम-तालवा (नोखा-बीकानेर) में है। यहाँ जाम्भोजी ने 1526 ई. में समाधि ली थी। आश्विन व फाल्गुन अमावस्या को यहाँ पर मेला लगता है। लालासर (बीकानेर) जाम्भोजी का निर्वाण स्थल है।
सिंहथल—रामस्नेही सम्प्रदाय की पीठ, संस्थापक हरिदास जी।
भांडाशाह के जैन मन्दिर—यह मन्दिर 5वें तीर्थंकर सुमितनाथ को समर्पित है। इसे त्रिलोकदीपक प्रसाद के नाम से भी जाना जाता है।
नोट—इस मंदिर के प्रथम मंजिल के निर्माण में पानी के स्थान पर घी का प्रयोग किया गया था इसलिए इसे घी वाला मन्दिर भी कहते हैं।
देवकुण्ड – बीकानेर राजघराने का निजी शमसान घाट देवकुण्ड है, यहाँ पर महाराजा सूरजसिंह की सफेद संगमरमर की छतरी दर्शनीय है।
कतरियासर—जसनाथी सम्प्रदाय की प्रधानपीठ। इस सम्प्रदाय का अग्नि नृत्य (एक मात्र धार्मिक लोकनृत्य) प्रसिद्ध है।
अग्नि-नृत्य पुरुषों द्वारा नंगे पावों से अंगारों के ढ़ेर (धूणा) पर किया जाता है। इस नृत्य के दौरान फतेह-फतेह का नारा बोला जाता है। इस नृत्य का उद्गम कतरियासर से हुआ तथा यह नृत्य सर्वाधिक अश्विन शुक्ल सप्तमी को होता है। इस नृत्य का नृत्यकार नाचणिया कहलाता है। इस सम्प्रदाय का संत सिद्ध कहलाता है।
बीकानेर की हवेलियाँ—रामपुरिया, एवं बच्छावतों की हवेलियाँ।
गंगा निवास पब्लिक पार्क—इसका उद्घाटन वायसराय लार्ड हार्डिंग्स ने सन् 1915 में करवाया।
गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय—5 नवम्बर 1937 को गंगा सिंह की स्वर्ण जयंती पर स्थापना हुई। इसकी स्थापना लार्ड लिनलिथगो ने की, इसे बीकानेर संग्रहालय भी कहते हैं।
करणी संग्रहालय—जूनागढ़ किले में।
सार्दुल संग्रहालय—लालगढ़ महल में।
बीकानेर के प्रसिद्ध व्यक्तित्व →
महाराजा गंगा सिंह—इन्हें आधुनिक भारत का भागीरथ कहा जाता है, गंगनहर लाने का श्रेय इन्हें प्राप्त है। गंगनहर का निर्माण 1922-27 ई. में हुआ। यह नहर पंजाब के हुसैनीवाला जिले से सतलज नदी से निकाली गई है। यह राजस्थान की सबसे प्राचीन नहर है। इस नहर का उद्घाटन लॉर्ड इरविन ने किया था।
कंवर सेन—विख्यात इंजीनियर इंदिरा गाँधी नहर का जनक है। यह राजस्थान में पद्मभूषण से सम्मानित होने वाले प्रथम व्यक्ति-1956।
पृथ्वीराज राठौड़—राव कल्याणमल का छोटे भाई ‘पीथल’ एवं ‘डिंगल का हैरौस’ के नाम से जाना जाता है। इनकी रचना बेलि किसन रुक्मणी री ख्यात, गंगा लहरी, गंगाजी का दूहा। ‘बेलिक्रिसन रूक्मणी री ख्यात’ ग्रन्थ के दो पात्र पीथल व पाथल है। इस ग्रन्थ की रचना अकबर के समय डिंगल भाषा (उत्तरी मारवाड़ी) में गागरोण दुर्ग में हुई थी। टॉड ने इस ग्रन्थ को पढ़कर कहा कि शायद प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार की। दुरसा आढ़ा ने इस ग्रन्थ को 5वां वेद व 19वां पुराण बताया था। [पीथल—स्वयं, पाथल—प्रताप] डॉ. तैस्सीतोरी ने इसे ‘डिंगल का हैरोस’ कहा था।
राजस्थान की प्रथम महिला जिला कलेक्टर-ओटिमा बोर्डिया।
कुंवर जसवन्त सिंह—राजस्थान की प्रथम विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता (निर्दलीय उम्मीदवार)।
डॉ. करणी सिंह—सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज, 1961 में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम राजस्थानी।
बीकानेर की मांड गायिकी अल्ला जिलाई बाई (गीत-केसरिया बालम पधारो म्हारे देश) को 1982 में पद्मश्री से नवाजा गया।
बीकानेर के विविध तथ्य →
- ऊँट महोत्सव-फरवरी माह में मनाया जाता है। राज्य सरकार ने 30 जून, 2014 को ऊँट को राज्य पशु घोषित किया।
- राष्ट्रीय ऊँट अनुसंधान केन्द्र-जोहड़बीड़, एशिया का प्रथम।
- खजूर अनुसंधान-बीकानेर।
- डोडाथोरा, सिंहथल -पुरातात्विक अवशेष।
- निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी जोजोबा प्लांटेशन परियोजना-झज्झर।
- लूणकरणसर -राजस्थान का राजकोट (सर्वाधिक मूँगफली उत्पादन के कारण)
- सामरिक महत्त्व का भूमिगत हवाई अड्डा-नाल।
- मरुत्रिकोण-जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर।
- B.S.F. का नया सीमान्त मुख्यालय-बीकानेर।
- एशिया का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास केन्द्र-बीकानेर।
- बीकानेर प्रजामण्डल (कलकत्ता में स्थापना)—1936 संस्थापक-मघाराम वैध, रघुवीर दयाल घोयल।
- बीकानेर प्रजा परिषद् —1942 संस्थापक-रघुवीर घोयल।
- बीकानेर विश्वविद्यालय-7 जून, 2003 को।
- राजस्थान भाषा साहित्य, संस्कृति अकादमी-1983 में स्थापित राजस्थानी भाषा की जागती-जोत पत्रिका का संपादन यहीं से होता है।
- बीकानेर जन्तुआलय-1922 में स्थापित, राज्य का तीसरा।
- कोडमदेसर—भैंरूजी के मंदिर का निर्माण राव बीका ने भैंरूजी की प्रतिमा को स्थापित करके किया।
- राजस्थानी विद्या मंदिर शोध प्रतिष्ठान व सार्दुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट-बीकानेर में है।
- सिरेमिक कॉम्पलेक्स—उत्तर भारत की एक मात्र सिरेमिक प्रयोगशाला।
- राजस्थान में प्रथम वायदा बाजार आयोग -बीकानेर।
- बीकानेर की लोककला-मथेरण कला।
- पूंगल नस्ल की भेड़े बीकानेर की प्रसिद्ध हैं।
- कूंपी—ऊँट के चमड़े से निर्मित एक विशेष जलपात्र बीकानेर में बनता है।
- दूधवा खारा आन्दोलन बीकानेर रियासत से सम्बन्धित है, वर्तमान में दूधवा खारा चूरू में है।
- सुराही/लोटड़ी—बीकानेर की प्रसिद्ध।
- गामा चैम्बर-2010—भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान-मुम्बई का राज्य में प्रथम चैम्बर बीकानेर विश्वविद्यालय में शुरू।
- गंगासिंह ने 1912 में सर्वप्रथम प्रतिनिधि सभा का गठन किया।
- राजस्थान राज्य अभिलेखागार संस्थान-बीकानेर, स्थापना-1955
- बीकानेरी भुजिया, पापड़, रस्सगुल्ले प्रसिद्ध हैं।
- अनूप गढ़वाला कन्जर्वेशन रिजर्व-बीकानेर, स्थापना-25 नवम्बर 2008।
- कोयला पलाना-(लिग्नाइट की सर्वोत्तम किस्म), बरसिंहपुरा, गुराहा।
- जिप्सम-विसरासर, कोलायत, लूणकरण सर। (जिप्सम की सबसे बड़ी खान-विसरासर)।
- निजी क्षेत्र में पहला लिग्नाइट आधारित बिजलीघर रानेरी बीकानेर में है।
- एशिया की सबसे बड़ी ऊन की मण्डी-बीकानेर।
- उस्तां कला—ऊँट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी। पद्म श्री हिजामुद्दीन उस्तां के प्रसिद्ध कलाकार है।
- बीकानेर की ऊनी दरियाँ एवं गलीचे प्रसिद्ध है।
- स्टेट वूलन मिल्स लिमिटेड बीकानेर में है।
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