झुंझुनूं जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
Jhunjhunu District GK in Hindi / Jhunjhunu Jila Darshan
झुंझुनूं जिले का कुल क्षेत्रफल – 5928 वर्ग किलोमीटर
नगरीय क्षेत्रफल – 175.64 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 5752.36 वर्ग किलोमीटर है।
झुंझुनूं जिले की मानचित्र स्थिति – 27°5′ से 28°5′ उत्तरी अक्षांश तथा 75°’ से 76°’ पूर्वी देशान्तर है।
झुंझुनूं जिले में कुल वनक्षेत्र – 405.31 वर्ग किलोमीटर
झुंझुनूं जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 7 है, जो निम्न है—
1. पिलानी, 2. सूरजगढ़, 3. झुन्झुनू, 4. मंडावा, 5. नवलगढ़, 6. उदयपुरवाटी, 7. खेतड़ी
उपखण्डों की संख्या – 5
तहसीलों की संख्या – 6
उपतहसीलों की संख्या – 2
ग्राम पंचायतों की संख्या – 288
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार झुंझुनूं जिले की जनसंख्या के आंकड़ें निम्नानुसार है—
कुल जनसंख्या—21,37,045
पुरुष—10,95,896, स्त्री—10,41,149
दशकीय वृद्धि दर—11.7%, लिंगानुपात—950
जनसंख्या घनत्व—361, साक्षरता दर—74.1%
पुरुष साक्षरता—86.9%, महिला साक्षरता—61%
नोट—राजस्थान में सर्वाधिक पुरुष साक्षरता वाला जिला झुन्झुनू है।
झुंझुनूं जिले में कुल पशुधन – 12,84,657 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
झुंझुनूं जिले में कुल पशु घनत्व – 217 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))
झुंझुनूं जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि —
इतिहासवेत्ता हरनाथसिंह के अनुसार झुंझुनूं को कब तथा किसने बसाया, इसका स्पष्ट विवरण नहीं मिलता है। उनके अनुसार पांचवीं-छठी शताब्दी में गुर्जरों के काल में झुंझुनूं बसाया गया।
आठवीं शताब्दी में चौहान शासकों के काल का अध्ययन करने पर झुन्झुनूं के अस्तित्व का उल्लेख मिलता है।
डॉ. दशरथ शर्मा ने तेरहवीं शताब्दी के कस्बों की जो सूची जारी की है, उसमें भी झुंझुनूं का अस्तित्व था।
सुल्तान फिरोज तुगलक (सन् 1351-1388) के बाद कायमखानी वंश अस्तित्व में आया। कहा जाता है कि कायम खां के बेटे मुहम्मद खां ने झुंझुनूं में अपना राज्य कायम किया। इसके बाद लम्बे समय तक इस क्षेत्र पर कायमखानी नवाबों का आधिपत्य रहा।
एक अन्य उल्लेख के अनुसार सन् 1451-1488 के बीच झुन्झा जाट के नाम पर झुन्झुनूं बसाया गया। परन्तु डॉ. उदयवीर शर्मा के अनुसार इस तथ्य के लिए पुष्ट प्रमाणों का अभाव है।
झुंझुनूं का अन्तिम नवाब रूहेल खां था जो आसपास के अपने ही वंश के नवाबों से प्रताडित था। ऐसे में उसने शार्दुलसिंह शेखावत को झुंझुनूं बुला लिया। रूहेल खां की मृत्यु के बाद विक्रम संवत 1787 में झुंझुनू पर शेखावत राजपूतों का आधिपत्य हो गया। उनकी सत्ता जागीर अधिग्रहण तक चलती रही। शार्दुलसिंह के निधन के बाद उसके पांच पुत्रों के बीच झुन्झुनूं ठिकाने का विभाजन हुआ। यही विभाजन पंचपाना कहलाया।
सन् 1834 में झुन्झुनूं में मेजर हेनरी फोस्टर ने एक फौज का गठन किया था, जिसका नाम शेखावाटी बिग्रेड रखा गया।
झुन्झुनूं की नदिया एवं जलाशय —
काँतली नदी—कांतली नदी का उद्गम खण्डेला की पहाड़ी (रेवासा), सीकर से होता है। यह मौसमी नदी है। राजस्थान में पूर्ण बहाव की दृष्टि से आन्तरिक प्रवाह की सबसे लम्बी नदी है, जिसकी कुल लम्बाई 100 किलोमीटर है। इसी नदी के किनारे गणेश्वर सभ्यता विकसित हुई थी। यह नदी झुन्झुनू को दो समान भागों में बाँटती है।
अन्य जलाशय— आपणी परियोजना जर्मनी की सहायता से चलाई जा रही है। इस परियोजना से हनुमानगढ़, चूरू, झुन्झुनू को पेयजल सुविधा उपलब्ध।
अजीतसागर बाँध, पन्नालाल शाह तालाब (खेतड़ी) झुंझुनूं में स्थित है।
झुन्झुनूं के प्रमुख खनिज —
लोहा—डाबला-सिंघाना क्षेत्र खानें-नाई की ढ़ाणी, सिओरी, काली पहाड़ी।
ताँबा—खेतड़ी-सिंघाना क्षेत्र बलवास, आकवाली, सतकुई, बाबाई।
कैल्साइट—माधोगढ़, पापरना।
हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड—खेतड़ी, इसे नवम्बर 1967 में केन्द्र सरकार ने वेस्टर्न नेप कम्पनी (अमेरिका) की सहायता से स्थापित किया।
खेतड़ी कॉपर काम्पलेक्स-खेतड़ी नगर (झुन्झुनू)।
चाँदमारी ताम्र परियोजना-झुन्झुनू।
नोट—राजस्थान की ताम्र नगरी खेतड़ी को कहा जाता है।
झुंझुनूं के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल —
सकराय माता का मन्दिर (उदयपुरवाटी (झुन्झुनू))—
यह माता खण्डेलवालों की कुल देवी है। सकराय माता ने अकाल पीड़ितों के लिए फल, कन्दमूल, सब्जियाँ उगाये जिसके कारण शाकम्भरी कहलाई। इस माता को प्रथम बार इन्टरनेट पर जारी किया गया था। माता का मेला नवरात्रों में लगता है। माता का पुजारी नाथ सम्प्रदाय का व्यक्ति होता है।
नरहड़ के पीर —नरहड़ के पीर का नाम ‘शक्कर बार’ है। नरहड़ के पीर का जन्म नरहड़ गाँव, चिड़ावा (झुन्झुनू) में हुआ।
इन्हें ‘बाँगड़ का धणी’ कहा जाता है इसकी दरगाह राजस्थान की सबसे बड़ी दरगाह है।
राणी सती — झुन्झुनू, विश्व का सबसे बड़ा सती मन्दिर, दूसरा सबसे बड़ा सती मन्दिर खेमीसती (झुन्झुनू)। राणी सती का मूल नाम-नारायणी देवी, उपनाम-चावों की देवी, शक्तिपीठ, दादीजी। यह अग्रवालों की कुलदेवी है। इनका मेला-भाद्रपद अमावस्या। राजस्थान राज्य सती अधिनियम (1987) के बाद इस मेले पर रोक है। नारायणी के पति तनधनदास को हिसार के नवाब ने मार दिया, इसका बदला लेने हेतु नारायणी ने चामुण्डा का रूप धारण किया।
दूसरा हवामहल—राजस्थान का दूसरा हवामहल खेतड़ी में भूपाल सिंह ने बनवाया था।
रघुनाथ चूण्डावत जी का मन्दिर—खेतड़ी, इस मंदिर का निर्माण बख्तावर की पत्नी चूण्डावत ने करवाया।
नोट—यह विश्व का एकमात्र ऐसा मन्दिर है जिसमें राम व लक्ष्मण की दाढ़ी-मूंछ वाली प्रतिमा है।
लोहार्गल—यहाँ का सूर्य कुण्ड व मालकेतु मन्दिर प्रसिद्ध है। राजस्थान में 24 कोसीय परिक्रमा भी यहीं की प्रसिद्ध है, जिसे मालखेत जी की परिक्रमा कहते है। यह परिक्रमा कृष्ण जन्माष्टमी से अमावस्या तक शुभ मानी जाती है।
राव शेखा की छतरी—परशुरामपुरा (झुन्झुनू)।
झुन्झुनू में स्थित हवेलियाँ—
ईश्वरदास मोदी की हवेली—यह हवेली सौ से अधिक खिड़कियों के लिए प्रसिद्ध है।
खींचन की हवेली, टीबड़ वाले की हवेली (नवलगढ़) पौद्दारों की हवेली (नवलगढ़) भक्तों की हवेली (नवलगढ़ की हवेलियों में सबसे बड़ी) सेठ जयदयाल केडिया की हवेली (बिसाऊ), सीताराम सिंगतिया की हवेली (बिसाऊ) सेठ हीराराम बनारसी लाल की हवेली (बिसाऊ) सोना चाँदी की हवेली (महनसर), बिड़ला की हवेली (पिलानी) सागरमल लाड़िया की हवेली (मण्डावा) रामदेव चौखाणी की हवेली (मण्डावा), रामनाथ गोयनका की हवेली (मण्डावा)।
भोपालगढ़ का किला, नवलगढ़, मुकुन्दगढ़ का किला, मदनसर का किला झुन्झुनू में है।
झुन्झनूं से संबंधित महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व —
स्वामी विवेकानन्द—1893 में अमेरिका में शिकागो सम्मेलन में भाग लेने से पहले ये खेतड़ी के शासक अजीतसिंह के पास आये। इनका विवेकानन्द नाम व पगड़ी खेतड़ी की ही देन है।
घनश्याम बिड़ला—1961 में पद्म विभूषण से सम्मानित।
नरोत्तम लाल जोशी—राजस्थान के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष।
हवलदार मेजर पीरु सिंह प्रथम परमवीर चक्र विजेता।
मेजर दयाचन्द—प्रथम शौर्य चक्र (1998) विजेता।
नायक हरिसिंह—कीर्ति चक्र विजेता (1992)।
श्रीमती सुमित्रा सिंह—राजस्थान की प्रथम महिला विधानसभा अध्यक्ष (12वीं विधानसभा में)। 9 बार विधानसभा का चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला।
सुरेश कुमार टेलर-नवलगढ़, निवासी, वैदिक विधि की खोज (पहाड़ों की गणना)।
श्योदान सिंह धाभाई व रामकुमार सिंह—1942 से 46 तक सुभाषचन्द्र बोस की ”आजाद हिन्द फौज” के सिपाही रहे।
श्रीमती कमला बेनिवाल—राजस्थान की प्रथम महिला मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री। प्रथम राजस्थानी महिला जो राज्यपाल बनी ।
पं. झाबरलाल शर्मा—पत्रकारिता के पितामह। (जन्म-खेतड़ी)।
मेहन्दी हसन—गजल-गायकी के बादशाह। [जन्म- लूणा, मृत्यु-कराची (पाकिस्तान)]
झुन्झुनूं जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य —
बिड़ला म्युजियम-पिलानी, एशिया के अग्रणी संग्रहालयों में स्थान।
सीरी (केन्द्रीय इलेक्ट्रोनिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान)—पिलानी, इसका शिलान्यास जवाहरलाल नेहरू ने 31 सितम्बर, 1953 को किया।
डूंडलोद—यहाँ राज्य का प्रथम व देश का पाँचवा गर्दभ अभयारण ”द डन्की सैन्चुअरी” के नाम से स्थापित है।
बिसाऊ—यहाँ की मूक रामलीला विश्व प्रसिद्ध है, इसका मंचन दिन में किया जाता है।
झुन्झुनू शहर भारत का प्रथम धुम्रपान रहित शहर घोषित (31-05-2007)।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया द्वारा देश की पहली मिनरल लाइब्रेरी-बवई क्षेत्र (झुन्झुनू)।
सिंघानिया विश्वविद्यालय झुन्झुनू में स्थापित किया गया है।
राज्य का पहला 100 किलोवाट क्षमता वाला सौर ऊर्जा संयंत्र-गौरिर (झुन्झुनू) में स्थापित किया गया था।
राजस्थान का पहला निजी नर्सिंग कॉलेज—पिलानी।
पिलानी के पास दुनिया की सबसे तेज ब्रह्मोस मिसाइल बनाई जायेगी।
बाबा रामेश्वरदास का मन्दिर—टीबा बसई (झुन्झुनू)
नवलगढ़ को शेखावाटी का स्वर्ण नगर कहते है।
फोजियों वाली तहसील के उपनाम से प्रसिद्ध—बुहाना।
राज्य की प्रथम हाइटेक पंचायत—बुडानियाँ।
बायोमैट्रिक योजना की भारत में सर्वप्रथम शुरुआत—झुन्झुनू (विश्व बैंक की सहायता से)।
शेखावाटी उत्सव की शुरूआत नवलगढ़ से फरवरी 2010 में की।
राजस्थान क्रीड़ा विश्वविद्यालय (Sports University) झुन्झुनू में स्थापित होगा।
ग्रामीण क्षेत्र का पहला सहकारी उपहार मिनी सुपर मार्केट—कुल्हारियों का बास (झुन्झुनू)।
होहोबा (रतनजोत) की सर्वाधिक खेती—झुन्झुनू में होती है।
सुनारी सभ्यता—यहाँ से लौहे को गलाने की भट्टी व लौहे का प्याला मिला है।
भारत की ताम्र नगरी खेतड़ी।
पोद्दारों की भित्ति चित्रों की दुकान जहाँ भित्ति चित्रों पर सोने की पॉलिश मिलती है—महनसर।
रामकृष्ण मिशन का मठ—खेतड़ी।
झुन्झुनू से कोई भी राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं गुजरता है।
राज्य का प्रथम मोर अभयारण प्रस्तावित।
बीड़ कन्जर्वेशन रिजर्व—झुन्झुनू (स्थापना-09-03-2012)।
ठाकुर शार्दुल सिंह के निधन के बाद उनके पाँच पुत्रों के बीच झुन्झुनू का विभाजन हुआ जो ‘पंचपाना’ कहलाया।