हनुमानगढ़ जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
Hanumangarh District GK in Hindi / Hanumangarh Jila Darshan
हनुमानगढ़ का भौगोलिक परिचय –
हनुमानगढ़ जिले का क्षेत्रफल – 9656.09 वर्ग किलोमीटर है।
नगरीय क्षेत्रफल – 69.86 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 9586.14 वर्ग किलोमीटर है।
हनुमानगढ़ जिले की मानचित्र स्थिति – 74°’ उत्तरी अक्षांश तथा 29.5°’ पूर्वी देशान्तर है।
हनुमानगढ़ जिले की सीमा पंजाब व हरियाणा दो राज्यों से लगती है।
हनुमानगढ़ जिले में कुल वनक्षेत्र – 241.23 वर्ग किलोमीटर
हनुमानगढ़ जिले में कुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 5 हैं, जो निम्न है –
1. संगरिया, 2. हनुमानगढ़, 3. पीलीबंगा, 4. नोहर तथा 5. भादरा
उपखण्डों की संख्या – 7
तहसीलों की संख्या – 7
उपतहसीलों की संख्या – 3
ग्राम पंचायतों की संख्या – 251
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हनुमानगढ़ जिलें की जनसंख्या के आंकड़ें –
कुल जनसंख्या—17,74,692
पुरुष—9,31,184 स्त्री—8,43,508
दशकीय वृद्धि दर—16.9% लिंगानुपात—906
जनसंख्या घनत्व—184 साक्षरता दर—68.37%
पुरुष साक्षरता—77.4% महिला साक्षरता—55.8%
हनुमानगढ़ जिले में कुल पशुधन – 1331265 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
हनुमानगढ़ जिले में कुल पशु घनत्व – 138 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))
हनुमानगढ़ का ऐतिहासिक विवरण –
जैसलमेर के भाटी वंशीय शासक भूपत ने 288 ई. में घग्घर नदी के किनारे भटनेर दुर्ग की स्थापना कर ‘भटनेर’ पर अपना शासन कायम किया। सन् 1805 ई. बीकानेर के शासक सूरत सिंह ने भाटियों को हराकर पुन ‘भटनेर’ पर अपना आधिपत्य कायम किया। विजय के दिन मंगलवार था इसलिए हनुमानजी के नाम पर भटनेर का नाम हनुमानगढ़ रखा गया।
राजस्थान का 31वाँ जिला हनुमानगढ़ 12 जुलाई, 1994 को श्री गंगानगर से पृथक करके बनाया गया।
हनुमानगढ़ जिले की नदियाँ –
घग्घर नदी-आंतरिक प्रवाह की सबसे लम्बी नदी, प्राचीन नाम-सरस्वती, मृत नदी, नट नदी, पाट, सोतर, नाली। इसे ‘राजस्थान का शोक’ कहते हैं। पाकिस्तान में यह ‘हकरा’ कहलाती है। उद्गम-हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पवर्तमाला की कालका की पहाड़ी से राजस्थान में हनुमानगढ़ में टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गाँव में प्रवेश। इसका अंतिम गन्तव्य स्थान-फोर्ट अब्बास (पाकिस्तान) है। तलवाड़ा झील का निर्माण घग्घर नदी से ही होता है, यह राजस्थान की सबसे नीचाई पर स्थित झील है। घग्घर नदी के अन्य विवरण के लिये श्रीगंगानगर जिला दर्शन देखें। Link follows – https://goo.gl/jf6yfY
हनुमानगढ़ जिलें की अन्य जल परियोजनाएँ—
राजीव गांधी सिद्धमुख – नोहर सिंचाई परियोजना – सिद्धमुख नोहर सिंचाई परियोजना के अंतर्गत राजस्थान को रावी – व्यास नदियों से प्राप्त जल में से 0.47 एम.ए.एफ. पानी मिलता है। राजीव गाँधी सिद्ध मुख नहर का शुभांरभ 5 अक्टूबर 1989 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा भिरानी गाँव (हनुमानगढ़) में किया गया। इस परियोजना का प्रारंभ यूरोपियन आर्थिक समुदाय के आर्थिक सहयोग से किया गया था। इस परियोजना का लोकार्पण 12 जुलाई, 2002 को सोनिया गाँधी द्वारा भिरानी गाँव में किया गया। इस परियोजना की कुल लागत 268.29 करोड़ रुपये आई थी।
राजीव गांधी सिद्धमुख – नोहर सिंचाई नहर में पानी भाखडा नांगल हैड़वर्क्स से भाखड़ा मुख्य नहर, पंजाब राज्य से गुजरते हुए फतेहबाद शाखा व किशनगढ़ उपशाखा, हरियाणा के समानांतर नहर द्वारा लाया गया था। इस परियोजना से हनुमानगढ़ व चुरू को पेयजल एवं संचाई सुविधा उपलब्ध हो रही है।
गंधेली (नोहर) साहवा लिफ्ट नहर – यह इंदिरा गांधी नहर परियोजना की लिफ्ट नहर है, जिसका वर्तमान नाम चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर (हनुमानगढ़, चुरू, झुंझुनू)। गंधेली-साहवा लिफ्ट नहर (भाखड़ा नहर) से हनुमानगढ़ को सिंचाई सुविधा प्राप्त कराती है। इसी नहर पर आपणी योजना के द्वारा हनुमानगढ़, चूरू, झुन्झुनू को पेयजल सुविधा प्रदान की गई है।
हनुमानगढ़ में प्राचीन सभ्यता –
कालीबंगा सभ्यता – शाब्दिक अर्थ-‘काले रंग की चूड़ियाँ’। खोज-1951-52 में अमलानन्द घोष, उत्खनन कार्य-1961-62 में बृजवाली लाल व बालकृष्ण थापड़।
इसका समय-2300 ई.पू. से 1750 ई.पू. (सी-14 रेडियो प्रणाली के अनुसार)
कालीबंगा एक त्रिस्तरीय, कांस्ययुगीन, मातृसत्तात्मक, एकल परिवार प्रणाली तथा नगरीय सभ्यता थी।
कालीबंगा एकमात्र ऐसा स्थान जहाँ लकड़ी की नालियाँ थी।
इस सभ्यता में प्रथम बार शल्य चिकित्सा की जानकारी। कालीबंगा की लिपि-बुस्तोफीदन अभी तक पढ़ी नहीं गई है। काली बंगा की लिपि को भावचित्रातमक लिपि भी कहते है। प्रथम बार बलि देने की जानकारी यहीं से मिलती है। कालीबंगा सिन्धु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी थी। कालीबंगा स्वतन्त्र भारत में खोजा गया प्रथम पुरातात्विक स्थल है।
पीलीबंगा—हनुमानगढ़, यहाँ से ईंटों का कुँआ मिला है।
रंगमहल सभ्यता-डॉ. हन्नरिड़ के नेतृत्व में खुदाई।
भादरा, हनुमानगढ़-भादरा के करनपुरा में 8 जनवरी, 2013 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को 4500 वर्ष पुराना मानव कंकाल मिला।
हनुमानगढ़ के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल –
भटनेर दुर्ग – उपनाम-बांकागढ़, उत्तरी सीमा का प्रहरी। इसका निर्माण 288 ई. में भूपत ने करवाया। इस दुर्ग का शिल्पी कैकेया था। यह राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग है। इसका पुनर्निर्माण 12वीं सदी में अभयराव ने करवाया। तैमूर लंग के आक्रमण के दौरान यहाँ भारत का सबसे बड़ा कत्लेआम हुआ। इस दुर्ग में हिन्दु महिलाओं के साथ मुस्लिम महिलाओं ने भी जौहर किया था। शेरखाँ की कब्र इसमें है। गोरखनाथ मन्दिर भी इसी दुर्ग में है।
तैमूर के ग्रन्थ ‘तुजुक ए तैमूरी’ के अनुसार ”मैंने इतना मजबूत व सुरक्षित किला पूरे हिन्दुस्तान में नहीं देखा।”
सर्वाधिक विदेशी आक्रमणों को झेलने वाला दुर्ग-भटनेर दुर्ग।
भद्रकाली माता-हनुमानगढ़, स्थापना-रामसिंह, चैत्र शुक्ल अष्टमी व नवरात्रों में मेला।
गोगामेड़ी (नौहर) – मुस्लिमों के साथ युद्ध के दौरान गोगाजी की धड़ गिरी। गोगाजी के 17वें वंशज कायमसिंह/कर्णसिंह, जिसको मुसलमानों ने जबरदस्ती मुस्लिम बनाया। आज भी कायमसिंह के वंशज कायमखानी कहलाते हैं। कायम खानी मुस्लिम स्वयं को गोगाजी का वंशज मानते हैं एवं गोगाजी की पूजा करते हैं। इसलिए गोगाजी का मेला हिन्दू-मुस्लिम सद्भावना का मेला है जो भाद्रपद कृष्ण नवमी (गोगानवमी) को भरता है। गोगामेड़ी की आकृति मकबरानुमा है। इस मेले में हरियाणवी नस्ल के गौ वंश सर्वाधिक क्रय-विक्रय होते हैं। गोगामेड़ी के मुख्य दरवाजे पर बिस्मिल्ला अंकित है। गोगामेड़ी का निर्माता फिरोज शाह तुगलक है, इसको वर्तमान स्वरूप बीकानेर के गंगासिंह ने दिया।
हनुमानगढ़ के अन्य महत्त्वूपर्ण तथ्य –
राजस्थान में खेल का सामान हनुमानगढ़ जिले में बनता है।
राजस्थान में सर्वाधिक खच्चर हनुमानगढ़़ जिले में पाये जाते है।
हनुमानगढ़ में सेम प्रवाहित क्षेत्रों में जल निकासी हेतु ”इंडो-डच जल निकासी परियोजना” नीदरलैण्ड के आर्थिक सहयोग से प्रारम्भ की गई।
सरस्वती नदी के प्राचीन बहाव क्षेत्रों में 18वीं शताब्दी में स्थापित शिला माता का मन्दिर-सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है।
हनुमानगढ़ जिले के नोहर में खालसा पंथ के संस्थापक नानक देव व दसवें गुरु गोविन्द सिंह के आगमन की स्मृति में 1730 ई. में ऐतिहासिक गुरुद्वारा स्थापित किया गया।
हनुमानगढ़ जिले को सर्वाधिक सिंचाई सुविधा भाखड़ा नाँगल परियोजना एवं इंदिरा गांधी नहर परियोजना से होती है।
1978 में हनुमानगढ़ में स्थापित ‘श्री गंगानगर सहकारी कताई मिल’ सहकारी क्षेत्र में स्थापित सूती वस्त्र मिल है।
सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय-संगरिया संग्रहालय हनुमानगढ़ में है। यह संग्रहालय प्रसिद्ध शिक्षाविद् केश्वानन्द की देन है।
हनुमानगढ़ को ‘फलों की टोकरी’ कहा जाता है।
हनुमानगढ़ में भेड़ प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र है।
हनुमानगढ़ को ‘मरुगंगा’ का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
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