Dholpur District GK in Hindi

धौलपुर जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)

Dholpur District GK in Hindi / Dholpur Jila Darshan

धौलपुर राजस्थान का सबसे पूर्वी जिला है। राजस्थान में सर्वप्रथम सूर्योदय तथा सूर्यास्त का शहर, धौलपुर है, धौलपुर को रेड डायमण्ड सिटी भी कहते है।

धौलपुर जिले का ऐतिहासिक एवं भौ‍गोलिक विवरण →

धौलपुर की मानचित्र स्थिति – 26°38′ से 25°65′ उत्तरी अक्षांश तथा 77°13′ से 78°17′ पूर्वी देशान्तर

धौलपुर का क्षेत्रफल 3,033 वर्ग किलोमीटर है तथा यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा जिला है।

धौलपुर का नगरीय क्षेत्रफल – 64.59 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल 2,968.41 वर्ग किलोमीटर है।

धौलपुर जिले में वनों का क्षेत्रफल – 639 वर्ग किलोमीटर है।

प्राचीन काल से ही धौलपुर तथा आस-पास का क्षेत्र, डांग क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।

धौलपुर की स्थापना तोमर वंश के राजपूत राजा धवलदेव ने की।

स्वतन्त्रता के पश्चात् एकीकरण के प्रथम चरण (18 मार्च, 1948) में यह मत्स्य संघ में शामिल हो गया।

धौलपुर को 15 अप्रैल, 1982 को भरतपुर से अलग कर नवीन जिला बनाया गया।

3 जून, 2005 तक यह जयपुर संभाग में था। 4 जून, 2005 को भरतपुर संभाग बनाया गया एवम् भरतपुर, धौलपुर, करौली तथा सवाईमाधोपुर को भरतपुर संभाग में मिलाया गया।

राजस्थान के सबसे पूर्व में धौलपुर जिले की राजाखेड़ा तहसील का सिलाना गाँव है।

धौलपुर जिले की सीमा उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश दो राज्यों के स्पर्श करती है।

धौलपुर जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 4 है, जो निम्न है →

1. बसेड़ी                 2. बाड़ी

3. धौलपुर               4. राजाखेड़ा

धौलपुर जिले में उपखण्डों की संख्या – 4

धौलपुर जिले में तहसीलों की संख्या – 5

धौलपुर जिले में उपतहसीलों की संख्या – 3

धौलपुर जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या – 153

सन् 2011 की जनगणना के अनुसार धौलपुर जिले की जनसंख्या के आंकड़ें →

कुल जनसंख्या—12,06,519              पुरुष—6,53,647

स्त्री—5,52,869                               दशकीय वृद्धि दर—22.7%

लिंगानुपात—846                             जनसंख्या घनत्व—398

साक्षरता दर—69.1%                      पुरुष साक्षरता—81.2%

महिला साक्षरता—54.7%

धौलपुर जिले में कुल पशुधन – 529201 (LIVESTOCK CENSUS 2012)

धौलपुर जिले में कुल पशु घनत्व – 174 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))

धौलपुर ज‍िले की प्रमुख नदियां →

धौलपुर जिले में मुख्यत: चम्बल और पार्वती दो नदियां है। पार्वती नदी पर एक जलाशय है, जिसका नाम पार्वती बांध है। बाड़ी तहसील के पास तालाबशाही झील है। अन्य जलाशयों में राम सागर भी धौलपुर में है।

गंभीर नदी – उद्गम करौली जिले से होता है। यह करौली, सवाई माधोपुर व भरतपुर में बहकर उत्तरप्रदेश में प्रवेश करती है। पुन: यह नदी धौलपुर में बहकर उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में यमुना से मिल जाती है।

ध्यान रहे – गंभीरी नदी मध्यप्रदेश के जावरा की पहाड़ि‍यों (रतलाम) से निकलती है। चित्तौड़गढ़ में निम्बाहेडा में राजस्थान में प्रवेश करती है तथा चित्तौड़गढ़ दुर्ग के पास यह बेड़च में मिल जाती है।

धौलपुर के वन्य जीव अभयारण →

वन विहार – की स्थापना-1965 में हुई तथा राम सागर – की स्थापना-1955 में हुई थी। इन दोनों अभयारण्यों में रीछ, हिरण, नीलगाय, बारहसिंघा, जरख और भेड़िया आदि वन्य जीव पाये जाते हैं।

केसरबाग-बाड़ी, धौलपुर-उदयभान सिंह का निवास स्थान।

चम्बल राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य राजस्थान, उत्तरप्रदेश तथा मध्य‍प्रदेश की सीमाओं में होने के कारण संयुक्त रूप से संचालित है। 

धौलपुर के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल →

शेरगढ़ का किला – इसका उपनाम-‘दक्षिण/दक्खिन का द्वारगढ़’ है। शेरगढ़ दुर्ग चंबल नदी के किनारे मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश की सीमाओं के किनारे स्थित गिरि दुर्ग है। इसका निर्माण तीन हजार वर्ष पूर्व कुषाण वंश के शासक मालदेव ने करवाया था। 11वीं शताब्दी में पालवंश के धोरपाल अथवा देवीपाल ने इस दुर्ग का पुननिर्माण करवाया। बाद में शेरशाह सूरी ने 1540 ई. इसका जीर्णोद्धार करवाया। शेरशाह ने इसका नाम शेरगढ़ रखा। शेरशाह के गुरु मीर सैयद की मजार इसी दुर्ग में है। ग्वालियर जाते समय अकबर ने एक रात इसी दुर्ग में गुजारी थी। इस दुर्ग में 19 फीट लम्बी हुनहुंकार तोप थी, जिसका निर्माण कीरतसिंह ने करवाया । वर्तमान में यह इंदिरा पार्क में रखी गई है। ध्यान रहे – शेरगढ़ दुर्ग के नाम से एक किला बारां जिले में भी है।

बाड़ी का किला – इस किले का निर्माण 1444 ई. में हुआ था। इस किले से सम्बद्ध फारसी में लिखित शिलालेख के अनुसार इस किले में हुमायूं के समय से बाद के समय तक की अनेक मस्जिदें व मकबरे हैं।

निहाल टॉवर (घण्टाघर) – धौलपुर के घण्टाघर को निहाल टॉवर के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण निहाल सिंह ने 1880 ई. प्रारम्भ करवाया एवम् 1910 ई. में रामसिंह के काल में पूर्ण हुआ। यह टावर आठ मंजिला है। आठवीं मंजिल पर मात्र छतरी है। इस घण्टे की घड़ी का निर्माण इंग्लैण्ड की कम्पमनी मैसर्स जिलेट जॉनसन क्रोपडॉन द्वारा किया गया।

मंचकुण्ड – तीर्थराज पुष्कर को जहां समस्त तीर्थ स्थलों का मामा कहा जाता है। वहीं धौलपुर के मचकुण्ड को ‘तीर्थों का भान्जा’ कहा जाता है। यहां प्रतिवर्ष भादों सुदी छठ (6) को मेला लगता है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से चर्म रोग का निवारण होता है। इसका वैज्ञानिक पक्ष यह है कि मचकुण्ड में बरसात के दिनों में पहाड़ों से आया पानी एकत्रित होता है, जिसमें गंधक तथा अन्य‍ रसायन मिले होते है, जो चर्म रोगों को ठीक करने में सहायक माने जाते है।

शेरशिकार गुरुद्वारा – सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द सिंह 1662 ई. में ग्वालियर जाते समय यहां ठहरे थे। उन्होंने मंचकुण्ड के समीप एक शेर की गर्दन को तलवार के एक ही झटके से धड़ से अलग कर दिया। उनकी स्मृति में यह गुरुद्वारा बनाया गया।

राधा बिहारी मन्दिर – धौलपुर पैलेस के समीप स्थित इस मंदिर के पास धौलपुर राजपरिवार के सदस्यों की छतरियाँ है।

सेपऊ महादेव मंदिर धौलपुर में है।

सोने का गुर्जा – धौलपुर के बाड़ी कस्बे से कुछ दूरी पर सोने का गुर्जा नामक स्थान पर अशोक कालीन शिव मन्दिर है, इसके समीप एक गढ़ भी है, जिसे देवहंस गढ़ी के नाम से जाना जाता है।

कमल के फूल का बाग – मचकुण्ड तीर्थ स्थल के नजदीक ही कमल के फूल का बाग है। चट्टान काटकर बनाये गये कमल के फूल के आकार में बने इस बाग का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है। भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत सीनेटर डेनियन मोनिहन की पत्नी ने 1978 में खोजपूर्ण शोध में यह रहस्योद्घाटन किया था कि प्रथम मुगलबादशाह बाबर की आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी (बाबरनामा) में जिस कमल के बाग का वर्णन है वह धौलपुर में है।

धौलपुर के अन्यव महत्त्वपूर्ण तथ्य –

दमोह – एक मनोहारी पर्यटक स्थल है। यहां एक कुआं है। वर्षाकाल में दमोह जल प्रपात की फुहारें 300 फीट की ऊँचाई से नीचे कुऐं में गिरती हैं।

सेज – धौलपुर में 25 नवम्बर 2005 को भारत सरकार के सैनिक समूह द्वारा स्पेशल इकॉनोमिक जोन स्थापित करने की मंजूरी दी है। यह राजस्थान का पहला मल्टी प्रोडक्ट सेज है।

तहरीक-ए-मिल्लत – धौलपुर जिला प्रशासन ने कोटा में प्रकाशित इस विवादास्पद पत्रिका पर रोक लगा दी है।

शोभाबाई – सन् 2002 में धौलपुर नगर पालिका के उपचुनाव में विजय प्राप्त करने वाली राजस्थान की प्रथम किन्नर।

लम्बी बावड़ी – एक पातालतोड़ बावड़ी है, जो सात मंजिली है। इसकी कारीगरी वास्तु कला की दृष्टि से अद्वितीय है।

भेंट ख्याल धौलपुर का प्रसिद्ध है।

धौलपुर का मिलिट्री स्कूल (स्थापना 1962) राजस्थान में प्रसिद्ध है।

धौलपुर ग्लास वर्क्स—निजी क्षेत्र की कम्पनी।

दि हाइटेक प्रिसीजन ग्लास फैक्ट्री-सार्वजनिक क्षेत्र में यहाँ पर शराब की बोतलों का निर्माण होता है।

राजस्थान राज्य में नैरोगेज रेलवे लाइन-धौलपुर में है।

लालपत्थर, लाइमस्टोन, धौलपुर के प्रसिद्ध है। रेड डायमण्ड के नाम से प्रसिद्ध धौलपुर जिले की आय का प्रमुख साधन ये लाल पत्थेर है। यहां पत्थर की 4 किस्में – सैण्ड स्टोन, मेसनरी स्टोन, लाइम स्टोन तथा बजरी पाई जाती है।

महमूद धौलपुरी – धौलपुर निवासी, हारमोनियम वादक, वर्ष 2006 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित। धौलपुरी दिल्ली विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में कार्यरत थे, इनका 5 मई 2011 को नई दिल्ली में निधन हो गया।

राजस्थान के जिलों का सामान्य ज्ञान / धौलपुर जिले का सामान्य ज्ञान

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