बांरा जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
(Baran District GK / Baran Zila Darshan)
बांरा : बारां को प्राचीन वराह नगरी के नाम से जाना जाता है। बांरा कालीसिंध, पार्वती व परवन नदियों के बीच स्थित है।
बारां का नामकरण : प्राचीन काल में 12 तालाब थे जिन्हें पाटकर नगर बसाया गया, जो बांरा कहलाया।
नामकरण की अन्य किंवदिति : प्राचीन समय में इसके अन्तर्गत बारह गाँव आते थे, इसलिए यह क्षेत्र बांरा कहलाया।
बांरा का क्षेत्रफल : 6,992 वर्ग किलोमीटर
नगरीय क्षेत्रफल – 82.78 वर्ग किलोमीटर
ग्रामीण क्षेत्रफल – 6909.22 वर्ग किलोमीटर
बारां का वन क्षेत्र – 2202.89 वर्ग किलोमीटर
मानचित्र के अनुसार बारां की स्थिति – 24°25′ से 25°55′ उत्तरी अक्षांश तथा 76°12′ से 76°26′ पूर्वी देशान्तर
बारां में उपखण्ड कार्यालय – 6
बारां की तहसीलों की संख्या – 8
बारां में पंचायत समितियों की संख्या – 7
बारां में ग्राम पंचायतों की संख्या – 215
बारां में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या चार (4) है, जो निम्न है –
1. अंता 2. किशनगंज
3. बारां-अटरु 4. छबड़ा
2011 की जनगणना के अनुसार बारां की जनसंख्या के आंकड़े –
कुल जनसंख्या—12,22,755 पुरुष—6,33,495
स्त्री—5,88,810 दशकीय वृद्धि दर—19.7
लिंगानुपात—929 जनसंख्या घनत्व—175
साक्षरता दर—66.7% पुरुष साक्षरता—80.4%
महिला साक्षरता—52%
बारां में कुल पशुधन : 8,00,806 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
LIVESTOCK DENSITY (PER SQ. KM.) – 115
राजस्थान के एकीकरण के समय बारां राजस्थान के कोटा जिले का भाग था। 10 अप्रैल 1991 को कोटा जिला से एक अलग जिला बांरा बनाया गया।
बांरा-राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में हाड़ौती क्षेत्र में आता है।
सीमा रेखा → बारां के पूर्व में मुरैना, शिवपुरी व गुना (मध्यप्रदेश), उत्तर पश्चिम में कोटा तथा दक्षिण झालावाड़ स्थित है।
बांरा जिले की नदियाँ—
पार्वती नदी→ यह मध्यप्रदेश के सिहोर (विन्ध्य पर्वत श्रेणी) से निकलती है तथा बांरा के करियाहट में राजस्थान में प्रवेश करती है। पार्वती नदी बांरा, कोटा एवं सवाईमाधोपुर में बहती हुई पाली गांव में चम्बल में मिल जाती है।
परवन नदी→ यह अजनार/घोड़ा पछाड की संयुक्त धारा है। यह मध्यप्रदेश के विंध्याचल से निकलती है। झालावाड के मनोहर थाना में राजस्थान में प्रवेश करती है। झालावाड़ व बांरा में बहती हुई काली सिंध में मिल जाती है।
बांरा की अन्य नदियाँ → कूकू या कूनू, ल्हासी, रेतम आदि है।
बांरा के अन्य जलस्रोत—हिण्डलोत, अँधेरी, परवन लिफ्ट परियोजना, बैथली परियोजना।
शेरगढ़ वन्यल जीव अभयारण्य →
- बारां में शेरगढ़ वन्य जीव अभयारण है, जिसकी स्थापना 30 जुलाई, 1983 को हुई।
- यह अभयारण्य साँपों के शरण स्थल के रूप में विख्यात है।
- इसमें मुख्यत: लोमड़ी, रीछ, बघेरा, चीतल एवं सांभर मिलते है।
- परवन नदी इसी अभयारण्य में से होकर गुजरती है।
सोरसेन (बारां)—गोडावण के लिए प्रसिद्ध यह शिकार निषेध क्षेत्र है। यहाँ पर हिरणों की आबादी भी तेजी से बढ़ी है।
बारां के दर्शनीय पर्यटन एवं तीर्थ स्थल –
सीताबाड़ी तीर्थ स्थल—केलवाड़ा के नजदीक सीताबाड़ी सहरिया जनजाति का धार्मिक स्थल है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सीता ने अपना निर्वासन काल वाल्मीकि के साथ यहीं पर गुजारा था। सीताबाड़ी लव-कुश की जन्म स्थली के रूप में विख्यात है। यहाँ पर ज्येष्ठ की अमावस्या को विशाल मेला भरता है जिसे सहरिया जनजाति का कुम्भ, हाड़ौती का कुम्भ कहते हैं। सीताबाड़ी के कुण्ड में अस्थियों के विसर्जन का संस्कार धारी संस्कार कहलाता है।
ब्राह्मणी माता का मन्दिर—सोरसन ग्राम के समीप ब्रह्माणी माता का प्राचीन मंदिर है। सम्पूर्ण विश्व का एकमात्र मन्दिर जहाँ देवी की पीठ की पूजा की जाती है। यहाँ माघ शुक्ल सप्तमी को गधों का मेला भरता है। यहाँ पर देवी के अखण्ड ज्योति जलती है।
भण्डदेवरा—रामगढ़ के शिव मन्दिर पर उत्कीर्ण मिथुन मूर्तियों के कारण ही इसका नाम भण्डदेवरा पड़ा। खजुराहो शैली पर आधारित यहाँ पर 108 मंदिरों का समूह है। इसे राजस्थान का ‘मिनी खजुराहो’ कहते हैं।
लक्ष्मीनाथ/लक्ष्मीिनारायण मंदिर—मांगरोल तहसील के श्रीनाथ गाँव का लक्ष्मीनाथ मंदिर पुरातात्त्विक महत्त्व की दृष्टि से बेजोड़ है। मंदिर के तोरणद्वार पर कलात्मक हाथी बने हुए हैं। लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर को तेजी का मंदिर भी कहते हैं।
शाहबाद दुर्ग—इस गिरी दुर्ग का निर्माण मुकुट मणिदेव ने भामती पहाड़ी पर करवाया। इस दुर्ग में ‘कुंडा खोह’ झरना (चश्मा) है। इस दुर्ग में राज्य की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसमें 18 तोपें हैं, जिनमें सबसे बड़ी तोप नवलखा बाण तोप (19 फीट ) है।
अटरू—अटरू में फूलदेवरा का मन्दिर (मामा -भान्जा) स्थित है। यहाँ पर धनुष-लीला का तीन दिवसीय लोकोत्सव आयोजित किया जाता है। यह एक प्रसिद्ध शिवालय है।
प्यारे राम जी का मन्दिर—यहाँ रामानन्दी सम्प्रदाय के अन्तर्गत गुदड़ी पंथ की पीठ रही है।
कल्याण राय (श्रीजी) का मंदिर, बारां—इसका निर्माण बूँदी की राजमाता राय कुंवर बाई ने करवाया।
मांगरोल—यहाँ पर शहीद पृथ्वीसिंह हाड़ा की स्मृति में निर्मित बाबाजी का बाग दर्शनीय है। मांगरोल की टेरीकोट साड़ी प्रसिद्ध है। यहाँ का 5 दिवसीय लोकोत्सव ढ़ाई कड़ी की रामलीला प्रसिद्ध है।
बारां के प्रसिद्ध मेले → सीताबाड़ी का मेला, डोल मेला, ब्राह्मणी माता का मेला, पिपलोदा का क्रिस मेला आदि प्रसिद्ध है।
बारां में डोल तालाब के किनारे ‘डोल मेला’ भाद्रपद शुक्ल ग्यारस (जलझूलनी ग्यारस) को लगता है।
बारां जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य –
जमनापरी नस्ल की बकरियाँ बारां की प्रसिद्ध हैं।
लहसुन की मण्डी छीपाबड़ौद, बारां में लगती है।
सहरिया विकास कार्यक्रम—इसमें बारां के शाहबाद व किशनगंज पंचायत समितियों के 435 गाँवों को शामिल किया गया है। इसकी शुरूआत 1977-78 में जनता पार्टी सरकार द्वारा की गई।
- सहरिया जनजाति राजस्थान में सर्वाधिक शाहबाद व किशनगंज में निवास करती है।
- माँ बाड़ी योजना—सहरिया जनजाति की शिक्षा हेतु 2000 ई. में प्रारंभ।
- सहरिया परिवारों को जंगलों से जोडऩे के लिए सहरिया वन क्लोजर योजना चलाई जा रही है।
रामगढ़—यहाँ लौहा और चुम्बकीय गुण वाले पत्थर मिले हैं। रामगढ़ को नासा (NASA) ने एस्ट्रोब्लीम अर्थात् ‘तारों द्वारा दिया गया घाव’ माना है।
राजस्थान का प्रथम बायोमास संयन्त्र भावगढ़ बाँध (बारां) पर स्थित है।
छीपा बड़ौद : कृषकों को उपज का उचित मूल्य, दिलवाने हेतु विशेष मंडियाँ, लकड़ी की वस्तुपएँ, हाथकरघा एवं कपड़े की बुनाई – छपाई हेतु प्रसिद्ध है।
राज्य का तीसरा सबसे बड़ा बिजलीघर ‘छबड़ा’ (बारां) में स्थित है।
राजस्थान में अफीम की खेती के लिए बारां प्रसिद्ध है।
शेरगढ़ दुर्ग का पूर्व में नाम कोषवर्धन दुर्ग था जिसे शेरशांह सूरी ने बदलकर ‘शेरगढ़’ रखा।
मसूरिया साड़ी के लिए प्रसिद्ध स्थान बारां में है।
प्राकृतिक गैस पर आधारित विद्युत संयन्त्र-अंता (बारां)।
रेलावन व दुगारी, बारां में 2400 वर्ष पुराने सभ्यरता अवशेष प्राप्त हुये है, जो आहड़ संस्कृति के समकालीन माने जाते है।
बारां जिले का सामान्या ज्ञान (राजस्थान के जिलों का विशेष सामान्य ज्ञान)
Ek ek ki district kind history batao do sir PPP.