बांसवाड़ा जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
(Banswara District GK/Banswara Zila Darshan)
बांसवाड़ा के उपनाम → आदिवासियों का देश, सौ द्वीपों का शहर, बागड़ प्रदेश
बांसवाड़ा का कुल क्षेत्रफल → लगभग 5037 वर्गकिलोमीटर
नगरीय क्षेत्रफल → 22 वर्गकिलोमीटर
ग्रामीण क्षेत्रफल → 5015 वर्गकिलोमीटर
बांसवाड़ा में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 5 हैं। जो निम्न है –
1. घाटोल 2. गढ़ी
3. बांसवाड़ा 4. बागीदोरा
5. कुशलगढ़
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार बांसवाड़ा की जनसंख्या के आंकड़े →
कुल जनसंख्या—17,97,485 पुरुष—9,07,754
स्त्री—8,89,731 दशकीय वृद्धि दर—26.5%
लिंगानुपात—980 जनसंख्या घनत्व—397
साक्षरता दर—56.3% पुरुष साक्षरता—69.5%
महिला साक्षरता—43.1%
बांसवाड़ा में कुल पशुधन – 13,95,418 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
बांसवाड़ा का नामकरण → बांसवाड़ा नाम पड़ने के दो कारण माने जाते है :
- बांस के जंगलों की अधिकता के कारण।
- बांसवाड़ा के संस्थापक जगमाल ने बासना नामक भील को मारकर इसकी स्थापना की अत: इसे बाँसवाड़ा नाम दिया।
बाँसवाड़ा रियासत का राजस्थान में एकीकरण, द्वितीय चरण (24/25 मार्च 1948 ) में हुआ।
बाँसवाड़ा के चन्द्रवीर सिंह ने विलय-पत्र (एकीकरण हेतु) पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि ”मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।”
बांसवाड़ा की भौगोलिक स्थिति →
- बांसवाड़ा की मानचित्र के अनुसार स्थिति → 23°11 से 26°55 उत्तरी अक्षांश तथा 74°0 से 74°47 पूर्वी देशान्तवर
- राजस्थान का सबसे दक्षिणी जिला।
- राजस्थान का सबसे दक्षिण में स्थित बोरकुण्डा गाँव, कुशलगढ़ तहसील में है।
- कर्क रेखा बाँसवाड़ा के कुशलगढ़ के बीच से होकर गुजरती है। कर्क रेखा की लम्बाई राजस्थान में लगभग 26 किमी. है।
- बाँसवाड़ा की सीमा मध्यप्रदेश व गुजरात दो राज्यों को स्पर्श करती है।
माही नदी—उद्गम-मध्यप्रदेश में विन्ध्याचल की महू पहाडिय़ाँ। यह बाँसवाड़ा के खांदू ग्राम से राजस्थान में प्रवेश करती है। बाँसवाड़ा के बोरखेड़ा में इस नदी पर माही बजाज सागर बाँध स्थित है। इस बाँध 3109 मीटर लम्बा् है। माही नदी को बागड़ की स्वर्ण रेखा, कांठल की गंगा आदि उपनामों से जाना जाता है। माही नदी राजस्थान की एकमात्र ऐसी नदी है जो राजस्थान में दक्षिण से प्रवेश करती है तथा वापस दक्षिण में निकलती है। माही नदी कर्क रेखा को 2 बार काटती है। माही नदी उल्टे U, शिवलिंग तथा A की आकृति बनाती है। यह नदी बांसवाड़ा व उदयपुर के बीच सीमा भी बनाती है।
बांसवाड़ा में स्थित अन्य जलाशय—आनन्द सागर, कागदी पिकअप, डाईलाब झील।
बाँसवाड़ा में सागवान के वृक्ष अत्यधिक मिलते हैं अत: बाँसवाड़ा को सागवान का उद्यान भी कहते हैं।
बाँसवाड़ा में कोई भी वन्य जीव अभयारण नहीं है।
बाँसवाड़ा की वालरा/झूमिंग/स्थानान्तरित कृषि अर्थात् जंगलों को काटकर की गई खेती प्रचलित है।
बांसवाड़ा के खनिज →
- सोना-आनन्दपुर-भूकिया क्षेत्र।
- मैंग्नीज—राजस्थान में सर्वाधिक मैंग्नीज बांसवाड़ा में उत्पादित होता है।
- अन्य: मैंग्नीज उत्पादक क्षेत्र- तलवाड़ा, लीलवानी, कालाखुंआ, नरडिया।
- यूरेनियम-कमलपुरा।
- बांसवाड़ा में खनन होने वाले वाले अन्य खनिज – ग्रेफाइट तथा माइका है।
बांसवाड़ा के प्रसिद्ध व्यक्तित्व →
गोविन्द गुरु—आदिवासियों में स्वतन्त्रता की भावना जागृत करने वाले स्वतन्त्रता सेनानी। इन्होंने 1883 ई. में सम्प सभा की स्थापना सिरोही में की व मानगढ़ को अपनी कर्मस्थली बनाया।
यशोदा देवी—राज्य की प्रथम महिला विधायक1953 में बाँसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से चुनी गई।
हरिदेव जोशी—खाटू ग्राम में जन्मे, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एक मात्र ऐसे विधायक जो प्रथम चुनाव से लेकर 10वीं विधानसभा तक निरन्तर विजयी हुए। इन्होंने जनवरी 1987 में संभागीय व्यवस्था पुन: शुरु की।
धूलचंद डामोर—राजस्थान के प्रसिद्ध तीरंदाज।
हनुमंत सिंह—छोटू के नाम से प्रसिद्ध क्रिकेटर, जो 1995-2002 तक मैच रैफरी भी रहे।
बांसवाड़ा के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल →
मानगढ़—17 नवम्बर 1912 को मानगढ़ पहाड़ी पर एकत्रित हजारों आदिवासियों पर फायरिंग की गई, इसे राजस्थान का जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड कहते हैं, जिसमें 1500 भील मारे गए। माघ पूर्णिमा को इसकी स्मृति में मेला भरता है।
छींछ का ब्रह्मा मंदिर—यह मंदिर बाहरवी सदी में छींछ ग्राम में बना जिसमें ब्रह्मा की चतुर्मुखी मूर्ति की स्थापना महारावल जगमाल ने की।
कलिंजरा के जैन मंदिर—ये मंदिर हिरण नदी के समीप कलिंजरा ग्राम में स्थित है। ये मंदिर जैनियों की दिगम्बर शाखा के हैं। इनमें प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव की मूर्ति है।
त्रिपुरी सुन्दरी—वसुन्धरा राजे की आराध्य देवी है। तलवाड़ा के समीप त्रिपुरी सुन्दरी का मन्दिर है जिसे तुरताई माता, त्रिपुरा महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर अष्टदश भुजा मूर्ति है तथा प्रतिवर्ष नवरात्रों में मेला भरता है।
अर्थूणा—प्राचीन नाम उत्थुनक। प्राचीन काल में वागड़ के परमार शासकों की राजधानी। यहाँ मण्डलेश्वर महादेव का मंदिर है।
घोटिया अम्बा—पाण्डवों ने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय घोटिया अम्बा (केलापानी) स्थान पर बिताया था। यहाँ पाण्डवों की प्रतिमा भी है। यहाँ पर चैत्र की अमावस्या को विशाल मेला भरता है।
भवानपुरा—बोहरा सम्प्रदाय के संत अब्दुल पीर की मजार।
पाराहेड़ा—ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण गाँव में माण्डलिक द्वारा निर्मित मण्डलेश्वर शिव मन्दिर गंगेला तालाब के नजदीक स्थित है।
घूणी—माही नदी के किनारे स्थित यह तीर्थस्थल कृष्ण लीलाओं की धाम कहलाता है। यह तीर्थस्थल फसलों के रक्षक देव के रूप में भी प्रसिद्ध है।
सुरवणिया—पुरातात्त्विक स्थल जहाँ से शक वंश के सिक्के प्राप्त हुए हैं।
बांसवाड़ा के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य →
- भीलों द्वारा बोली जाने वाली बोली-वागड़ी/भीली।
- हलमा—बाँसवाड़ा में सामुदायिक सहयोग से गृह निर्माण की सांस्कृतिक परम्परा ‘हलमा’ कहलाती है।
- कुक्कुट पालन हेतु कड़कनाथ योजना बाँसवाड़ा में शुरु की गई।
- इंडो गोल्ड लिमिटेड—बाँसवाड़ा में ऑस्ट्रेलियन फर्म की इंडो गोल्ड लिमिटेड कम्पनी द्वारा 3.85 करोड़ टन स्वर्ण भण्डार खोजे गए हैं। ज्ञातव्य रहे कि राजस्थान में खनन के लिए इस प्रकार की मंजूरी पाने वाली यह पहली विदेशी कम्पनी है।
- राज्य की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना बाँसवाड़ा के बोरखेड़ा में माही बजाज सागर बाँध पर है।
- टीमरु—तेदूं के पत्तों से बीड़ी बनाई जाती है, जिसे वागड़ क्षेत्र में टिमरु कहते हैं, ये बाँसवाड़ा में सर्वाधिक है।
- छेड़ा फाडऩा—भील समाज में पत्नी को त्यागने की प्रथा।
- बाँसवाड़ा जिले में ईसाई धर्म के व्यक्तियों की सर्वाधिक जनसंख्या निवास करती है।
- पशुपालन विभाग ने जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग की सहायता से बाँसवाड़ा में ‘बतक चूजा केन्द्र’ की स्थापना की है।
- मक्के का सर्वाधिक उपज देने वाली किस्म ‘माही कंचन’ बाँसवाड़ा के कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की है।
- मुख्यमंत्री B.P.L. आवास योजना की शुरूआत 3 जून, 2011 को बाँसवाड़ा में शुरू की गई।
राजस्थान के जिलों का सामान्य ज्ञान (बांसवाड़ा का परीक्षा उपयोगी सामान्य ज्ञान)
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