Karouli District GK in Hindi

करौली जिला दर्शन (राजस्‍थान के जिले)

Karouli District GK in Hindi / Karouli Jila Darshan

करौली जिले का कुल क्षेत्रफल – 5524 वर्ग किलोमीटर

करौली जिले की मानचित्र स्थिति – 26°3′ से 26°49′ उत्तरी अक्षांश तथा 76°35′ से 77°6′ पूर्वी देशान्‍तर है।

करौली जिले में कुल वनक्षेत्र – 1,802.51 वर्ग किलोमीटर

करौली जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्‍या 4 है, जो निम्‍न है —

1. टोडाभीम, 2. हिंडौन, 3. करौली, 4. सपोटरा

उपखण्‍डों की संख्‍या – 5

तहसीलों की संख्‍या – 6

उपतहसीलों की संख्‍या – 2

पंचायत समितियों की संख्‍या – 5

ग्राम पंचायतों की संख्‍या – 223

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार करौली जिले की जनसंख्‍या के आंकड़े निम्‍नानुसार है —

कुल जनसंख्या—14,58,248

पुरुष—7,83,649, स्त्री—6,74,609

दशकीय वृद्धि दर—20.9%, लिंगानुपात—861

जनसंख्या घनत्व—264, साक्षरता दर—66.2%

पुरुष साक्षरता—81.4%, महिला साक्षरता—48.6%

करौली जिले में कुल पशुधन – 9,33,723 (LIVESTOCK CENSUS 2012)

करौली जिले में कुल पशु घनत्‍व – 169 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))

करौली जिले का ऐतिहासिक विवरण —

करौली रियासत की स्थापना यदुवंशी शासक अर्जुन सिंह ने विक्रम संवत् 1405 (1348 ई.) में कल्‍याणपुरी नाम से की थी, जो कालान्‍तर में करौली नाम से प्रचलि‍त हुआ।

करौली के शासक हरवक्षपाल सिंह ने सर्वप्रथम अंग्रेजों से सहायक संधि की।

करौली राजस्थान का 32वाँ जिला 19 जुलाई,1997 को सवाई माधोपुर से अलग करके बनाया गया। करौली मत्स्य संघ में भी शामिल था।

कैलादेवी अभयारण्‍य—कैलादेवी अभयारण्‍य की स्थापना-1923 में हुई। इसे डांगलैण्ड के नाम से भी जाना जाता है। कैलादेवी अभयारण्‍य 676.30 वर्ग किलोमीटर है। राष्‍ट्रीय चम्‍बल घड़ि‍याल अभयारण्‍य, करौली जिले में 74 कि‍लोमीटर लम्‍बा है।

करौली जिले की नदियाँ —

कालीसिल नदी—इसका उद्गम करौली जिले के सपोटरा गाँव की पहाड़ी से होता है।

गंभीर नदी—इसका उद्गम करौली जिले में नादौती की पहाड़ि‍यों से होता है।

पार्वती नदी II—इसका उद्गम करौली जिले के छापर गाँव की पहाड़ि‍यों से होता है।

पाँचना बाँध—अमेरिका के आर्थिक सहयोग से गुड़ला गाँव करौली में बना राजस्थान का मिट्टी से निर्मित सबसे बड़ा बाँध है। जो पाँच नदियों (भद्रावती, अटा, माची, भैसावट, बरखेड़ा) के संगम स्थल पर स्थित है। यह एक किलोमीटर लम्बा है।

जग्गर बाँध—जग्गर नदी के समीप करौली जिले में स्थित है।

इसके अलावा करौली जिले में कालीसिंध बांध भी स्थित है।

करौली जिले के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्‍थल —

मण्डरायल का किला—इस दुर्ग को ग्वालियर की कुंजी कहा जाता है। इस दुर्ग में मर्दानशाह पीर की मस्जिद है।

ऊँट गिरी का किला—कल्याणपुर, करौली।

उपनाम—उदितनगर/उटनगर/ अवंतगढ़

इस दुर्ग में दौलतबाग से कृष्ण की प्रतिमा लाई गई है।

करौली, यदुवंशी शासकों की जादौन शाखा की कुलदेवी। कैलादेवी अंजनी माता का अवतार है अंजनी माता हनुमान जी की माता है। हनुमान जी अग्रवालों के कुलदेवता है इसलिए कैलादेवी के मेले में अग्रवाल सर्वाधिक भाग लेते हैं। कैला देवी के मन्दिर में लक्खी मेला चैत्र शुक्ल अष्टमी को लगता है।

कैलादेवी का मन्दिर — त्रिकूट पहाड़ी पर कालीसील नदी के किनारे है। मन्दिर के सामने बोहरा जी की छतरी है। मंदिर का निर्माण गोपाल सिंह ने करवाया। मन्दिर में लांगुरिया व जोगणिया गीत गाया जाता है तथा घुट्टकण नृत्य किया जाता है। मन्दिर में कैलादेवी की प्रतिमा का मुख थोड़ा सा टेढ़ा है तथा इसकी प्रतिमा के साथ चामुण्डा की प्रतिमा भी है। देवी की मूर्ति 1114 ई. में केदारगीरि ने स्थापित करवाई। यह राजस्थान का एकमात्र दुर्गा मन्दिर जहाँ बलि नहीं दी जाती है। मन्दिर में गणेश जी व भैरव जी की मूर्तियाँ है जिन्हें लांगुरिया कहते हैं।

मदन मोहन जी का मन्दिर—यह मन्दिर गौड़ीय सम्प्रदाय से सम्बन्धित है।

महावीर जी का मेला—यह राजस्थान में जैनियों का सबसे बड़ा मेला है। महावीर जी का प्राचीन नाम चाँदनपुर था। महावीर जी के मन्दिर का चढ़ावा चमार जाति के लोग लेते हैं। इस मेले का मुख्य आकर्षण केन्द्र जिनेन्द्र रथ यात्रा है, इस यात्रा का सारथी उपखण्ड अधिकारी होता है। यह रथ यात्रा शुरु होने से पहले भगवान की मूल प्रतिमा को चर्मकार वंशज हाथ लगाकर शुरु करते है। यह यात्रा गम्भीर नदी तक जाती है। यह मेला चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को भरता है। जिनेन्द्र रथ यात्रा मीणा व गुर्जर समुदायों द्वारा निकाली जाती है।

करौली जिले के अन्‍य महत्त्वपूर्ण तथ्‍य —

करौली राजस्थान की पहली रियासत थी, जो डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स के अन्तर्गत हस्तगत हुई।

करौली राजस्थान की प्रथम रियासत थी, जिसने अंग्रेजों के साथ सर्वप्रथम सहायक संधि की।

करौली रियासत की कुलदेवी—अंजनी माता।
कुँवर मदन सिंह ने 1915 ई. में करौली में सर्वहित कारी पुस्तकालय की स्थापना की। ‘बेगारी विलाप’ मदन सिंह की प्रसिद्ध पुस्तक है।

हिण्डौन सिटी में लाल, सफेद व गुलाबी इमारती पत्थर के व्यापार का विशेष महत्त्व है।

सूफी सन्त कबीरशाह की दरगाह करौली में है।

कल्याण राव का मन्दिर करौली में है।

राज्य में न्यूनतम लघु औद्योगिक ईकाइयाँ करौली में है।

त्रिलोकचन्द्र माथुर ने 1938 ई. करौली राज्य सेवक मण्डल एवं 1939 ई. में करौली प्रजामण्डल की स्थापना की

हरसुख विलास— सफेद चंदन से महकता उद्यान जिसका निर्माण महाराजा हरवक्षपाल ने करवाया।

राहुघाट विद्युत परियोजना—करौली जिले में चम्बल नदी पर बाँध बनाकर बिजली बनाने की यह योजना प्रस्तावित है।

रामठरा किला—पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण यह किला करौली के सपोटरा उपखण्ड में है।

सहर—यहाँ सेहरा माता का मन्दिर है। यह नगरी अपनी सुन्दर भित्ति चित्रकला तथा 22 उत्कृष्ट देव मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है।

करौली में जटनंगला नवोदय विद्यालय का हाल ही में उद्घाटन हुआ है।

श्री महावीर जी 24 वें जैन तीर्थकर थे, इनकी साध्वी कमलाबाई को महिला साक्षरता में उत्कृष्ट कार्य हेतु 2005 में कालीबाई महिला साक्षरता उन्नयन पुरस्कार दिया गया।

हिरण्यकश्यप की नगरी-हिंडौन।

रामगोपाल विजयवर्गीय—करौली, प्रसिद्ध चित्रकार। यह एकल चित्र प्रदर्शनी परम्परा को प्रारम्भ करने वाले राजस्थान के सुप्रसिद्ध कलाकार थे।

लूटमार होली/लठमार होली—महावीर जी (करौली) की प्रसिद्ध है।

शिवरात्रि पशु मेला—यह मेला फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी से शुरु होता है। यह मेला हरियाणवी नस्ल की गौवंश के क्रय-विक्रय के लिए प्रसिद्ध है।

राव गोपालसिंह की छतरी करौली में है।

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