Ajmer District GK in Hindi

अजमेर जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)

(Ajmer Zila Darshan/Ajmer GK)

अजमेर जिले के उपनाम → राजस्थान का नाका, पूर्व का जिब्राल्टर, राजस्थान का हृदय, साम्प्रदायिक सद्भाव का संगम, भारत का मक्का

अजमेर का कुल क्षेत्रफल लगभग 8,481 वर्ग किलोमीटर हैं।

अजमेर की स्थिति – 25°38′ से 26°58′ उत्तरी अक्षांश तथा 73°54′ से 75°22′ पूर्वी देशान्तर है।

अजमेर में कुल 16 तहसीलें हैं।

अजमेर के विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 8 है। ये निम्न है –

1. किशनगढ़                2. पुष्कर

3. अजमेर उत्तर            4. अजमेर दक्षिण

5. नसरीराबाद              6. ब्यावर

7. मसूदा                      8. केकड़ी

सन् 2011 के अनुसार अजमेर की जनसंख्या के आंकड़े –

कुल जनसंख्या—25,83,05

पुरुष—13,24,085                         स्त्री—12,58,967

दशकीय वृद्धि दर—18.6%,           लिंगानुपात—951

जनसंख्या घनत्व—305,                 साक्षरता दर—69.3%

पुरुष साक्षरता—82.4%                 महिला साक्षरता—55.7%

अजमेर में कुल पशुधन – 19,65,449 (LIVESTOCK CENSUS 2012)

अजमेर जिले की ऐतिहासक पृष्ठभूमि →

  • सातवीं सदी में अजयपाल चौहान ने अजमेर की नींव रखी।
  • अजमेर को चौहान वंश की राजधानी अजयराज ने बनाई थी।
  • 1113 ई. में अजयराज चौहान ने बीठली पहाड़ी पर दुर्ग बनाया जो तारागढ़ दुर्ग के नाम से जाना जाता है।
  • ब्रिटिश शासक जेम्स प्रथम का राजदूत सर टॉमस रॉ अजमेर में स्थित अकबर के किले में 10 जनवरी 1616 को सम्राट जहाँगीर से मिला।
  • शाहजहाँ के सबसे बड़े पुत्र दाराशिकोह का जन्म अजमेर में ही हुआ।

1857 की क्रांति का राजस्थान में प्रारंभ अजमेर के पास स्थित नसीराबाद छावनी से 28 मई 1857 को हुआ। नसीराबाद सैनिक छावनी 1857 की क्रांति के दौरान राजस्थान की सबसे बड़ी सैनिक छावनी थी। यहाँ के क्रांतिकारियों ने अंग्रेज न्यूबरी की हत्या की। राजस्थान की ओर से पहली बार दिल्ली नसीराबाद के क्रांतिकारी ही पहुँचे थे।

स्वतन्त्रता से पूर्व अजमेर सीधे ब्रिटिश शासन के अधिकार में था।

स्वतन्त्रता के पश्चात् अजमेर अक्टूबर 1956 तक ‘सी’ श्रेणी के राज्यों में था तथा 1 नवम्बर 1956 को अजमेर-मेरवाड़ा का राजस्थान में विलय हो गया।

जनवरी 1987 में हरिदेव जोशी सरकार ने पुन: संभागीय व्यवस्था शुरू की एवं अजमेर को जनवरी 1987 में राजस्थान का छठा संभाग बनाया।

अजमेर की नदियां –

लूनी नदी—उद्गम अजमेर के निकट नाग पहाड़ से। इसे खारी-मीठी नदी कहते हैं।(बालोतरा-बाड़मेर के बाद इसका पानी खारा हो जाता है)

अन्य नदियाँ—बनास, खारी, रूपमती, सागरमती, डाई आदि।

पुष्कर—धार्मिक मान्यता के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण ब्रह्माजी ने फूल गिराकर किया जबकि भूगोल के अनुसार यह एक प्राकृतिक या ज्वारलामुखी झील है।

आनासागर—इस झील का निर्माण पृथ्वीराज—III के पितामह अर्णोराज (आनाजी) ने चन्द्रा नदी को रोककर तारागढ़ व नाग पहाड़ के बीच तुर्कों को हराने के उपलक्ष में 1137 में करवाया।

चन्द्रा नदी पुष्कर के अरण्य से निकलती है। इस झील के किनारे जहांगीर ने दौलतबाग (वर्तमान—सुभाष उद्यान) बनवाया तथा शाहजहाँ ने 5 बारहदरियों का निर्माण करवाया।

फॉयसागर—1892 में इंजीनियर फॉय के निर्देशन में इसका निर्माण अकाल राहत हेतु करवाया। यह झील अजमेर जिले का प्रमुख पेयजल स्त्रोत है। इस झील में पानी अधिक होने पर बाण्डी नदी के नालों से आनासागर में पहुँच जाता है।

नारायण सागर बाँध—यह बांध ब्यावर के जालिया द्वितीय गांव के पास खारी नदी पर बना हुआ है। इस बाँध की नींव भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 31 अक्टूबर 1955 को रखी, 1962 में इस बाँध का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। इस बाँध के किनारे गिखर माता का मंदिर है। यह ऐसी देवी है, जिसके पाँव की पूजा होती है।

टाटगढ़ रावली वन्य जीव अभयारण—इसकी स्थापना 1983 में हुई, 2011 में राज्य सरकार ने इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाने की घोषणा की।

मृगवन—पुष्कर मृगवन, स्थापना-1965।

सांकलिया—गोडावण के लिए प्रसिद्ध है, यह शिकार निषेध क्षेत्र है।

अजमेर में खनिज →

फेल्सपार — राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन अजमेर तथा अजमेर में मकरेरा नामक स्थान पर होता है।

किशनगढ़—संगमरमर, सोपस्टोन, यूरेनियम।

सरवाड़—अभ्रक, कैल्साइट, लाइमस्टोन।

अजमेर में पशुपालन – 

  • अजमेरी गाय प्रसिद्ध है (यह गीर नस्ल है)। इसे रैण्डा भी कहते हैं।
  • केन्द्रीय बकरी प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र-रामसर।
  • अजमेर जिला राजस्थान में मुर्गी पालन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।
  • मुर्गी पालन प्रशिक्षण केन्द्र-अजमेर।
  • राजस्थान की सबसे पुरानी डेयरी ‘पद्मा’ अजमेर में है।

अजमेर के प्रमुख उद्योग – 

सूती वस्त्र उद्योग-कृष्णा मिल्स लिमिटेड—1889 (राज्य की प्रथम मिल) एडवर्ड मिल्स 1906, महालक्ष्मी मिल्स-1965 ये मीलें ब्यावर में स्थित हैं।

1967 ई. में चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से चाचियावास में हिन्दुस्तान मशीन टूल्स की स्थापना। (घडिय़ों का शहर-अजमेर)

श्री सीमेन्ट देश की सबसे बड़ी सीमेन्ट कम्पनी (गोल्डन पिकॉक पर्यावरण पुरस्कार 2003 में प्राप्त) एवम् राजश्री सीमेन्ट कम्पनी ब्यावर में है।

संगमरमर की मण्डी—किशनगढ़ (एशिया की सबसे बड़ी)।

पुष्कर फूलों के निर्यात में प्रथम स्थान पर है। यहाँ पर फूलों की आधुनिक मण्डी विकसित की जा रही है, जो एशिया की सबसे बड़ी फूलों की मण्डी होगी।

ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह

  • इस दरगाह का निर्माण इल्तुतमिश ने करवाया। इसका निर्माण कार्य हूमायुँ के काल में पूरा हुआ था। ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती संजरी (फारस) से मौहम्मद गौरी के साथ पृ़थ्वीराज चौहान तृतीय के काल में भारत आये थे।
  • ख्वाजा साहब का उर्स 1 रज्जब से 6 रज्जब तक इनकी दरगाह में लगता है। इस उर्स का उद्घाटन भीलवाड़ा निवासी गौरी परिवार करता है।
  • मक्का के बाद मुस्लिम सम्प्रदाय का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल अजमेर है।

अकबर का किला – 

  • उपनाम—शास्त्रागार / मेग्जीन का किला/ मुगल किला
  • इस स्थल दुर्ग का निर्माण 1570 ई. में अकबर ने ख्वाजा साहब के सम्मान में करवाया।
  • अकबर के किले में 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध की योजना बनी थी।

अजयमेरु दुर्ग/तारागढ़

  • उपनाम—अरावली का अरमान/ राजस्थान का हृदय/ राजपूताने की कुंजी/ पूर्व का जिब्राल्टर/ सर्वाधिक स्थानीय आक्रमण वाला दुर्ग/ गढ़ बीठली।
  • इस गिरी दुर्ग का निर्माण 1113 ई. में गढ़बीठली पहाड़ी पर अजयराज ने 870 मी. की ऊँचाई पर करवाया।

मेयो कॉलेज—1875 में लार्ड मेयो के कार्यकाल में। उद्देश्य—राजकुमारों की उच्च शिक्षा हेतु।

सोनीजी की नसियाँ—1865 ई. के आसपास सेठ मूलचन्द एवं टीकमचन्द सोनी द्वारा निर्मित।

अढ़ाई दिन का झोंपड़ा—1153 ई. में विग्रहराज चतुर्थ द्वारा संस्कृत विद्यालय (सरस्वती कठां भरण महाविद्यालय) जिसे ध्वस्त करवाकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1194 ई. में एक मस्जिद का निर्माण किया।

जुबली क्लॉक टावर—1988 ई. में रेलवे स्टेशन के सामने विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में इसका निर्माण करवाया।

चामुण्डा माता अजमेर, पृथ्वीराज तृतीय व चन्दबरदाई की कुलदेवी।

काचरिया मन्दिर किशनगढ़, इस मन्दिर में कृष्ण व राधा की प्रतिमा है। इनकी पूजा निम्बार्क सम्प्रदाय द्वारा की जाती है। यहाँ पर राधा को कृष्ण की पत्नी मानकर पूजा करते हैं।

अब्दुल्ला खां का मकबरा—अजमेर, इस मकबरे को बीबी का मकबरा भी कहते हैं।

सावित्री मन्दिर—रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्माजी की प्रथम पत्नी सावित्री का मन्दिर है।

रंगनाथ जी का मंदिर—इस मन्दिर में श्यामवर्ण रंगनाथ जी की प्रतिमा है।

वराह मन्दिर—अर्णोराज ने इस मन्दिर का निर्माण करवाया। सम्राट औरंगजेब ने इस मन्दिर को ध्वस्त करवा दिया, पुन: इस मन्दिर का निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया।

मान महल—इसका निर्माण आमेर नरेश मानसिंह प्रथम द्वारा करवाया गया।

खुण्डियास—द्वितीय रामदेवरा के रूप में प्रसिद्ध। (मिनी रामदेवरा)

अजमेर के प्रसिद्ध व्यक्तित्व →

कपिल मुनि—कपिल का जन्म पुष्कर के समीप हुआ। वे सांख्य दर्शन के प्रणेता थे।

पैमल—पनेर (अजमेर) के नरेश रायचन्द्र की पुत्री पैमल का विवाह तेजाजी से हुआ था।

फलकूबाई—चरी नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना, इनका जन्म किशनगढ़ में हुआ। चरी नृत्य एन.एच.—8 का प्रसिद्ध।

बंशीधर शर्मा—किशनगढ़ी ख्याल को लोकप्रिय बनाया।

रीमा दत्ता—उपनाम—राजस्थान की जलपरी, तैराकी में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करने वाली देश की प्रथम महिला तैराक बनी जो अजमेर निवासी है।

रामकिशन सोलंकी—‘नगाड़े का जादूगर’ इनका जन्म 1938 में पुष्कर में हुआ।

दुर्गाप्रसाद चौधरी—प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी अजमेर में ‘दैनिक नवज्योति’ अखबार का प्रकाशन 1936 में किया।

हरविलास शारदा—अजमेर निवासी, बाल विवाह के विरोध में इन्होंने ‘शारदा एक्ट’ कानून बनाकर 1929 में केन्द्र सरकार को सौंपा। जिसे 1930 में लागू किया गया।

गोविन्द सिंह गुर्जर—अजमेर निवासी, पाण्डि‍चेरी के उपराज्यपाल रहे थे।

अरूणाराय—इन्हें; सूचना का अधिकार दिलाने का श्रेय हासिल है (‘मैग्सेसे पुरस्कार’ से सम्मानित)। इनके पति बंकरराय ने तिलोनिया गाँव में सामाजिक कार्य शोध केन्द्र की स्थापना की। उन्होंने तिलोनिया में बैयर फूट संस्थान भी स्थापित किया।

राजस्थान के विशेष तथ्य →

बणी-ठणी – यह प्रसिद्ध चित्रशैली किशनगढ़ के शासक साँवतसिंह (नागरीदास) की प्रेयसी बणी-ठणी के नाम से है। इसके चित्रकार निहालचन्द (मोरध्वज) हैं। बणी-ठणी को ”भारत की मोनालिसा” एरिकडीक्सन ने कहा था।

राजस्थान की सबसे प्राचीन नगर परिषद्-अजमेर।

राजस्थान की कूबड़-पट्टी (फ्लोराइड युक्त जल) अजमेर से नागौर के बीच है।

आगीबाण/अग्निबाण – राजस्थानी भाषा का प्रथम राजनैतिक समाचार पत्र, जिसका प्रकाशन 1932 में जयनारायण व्यास ने ब्यावर से किया।

राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना 1920 में जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में हुई।

अजमेर में स्थापित राजस्थान के महत्त्वपूर्ण विभाग →

-माध्यमिक शिक्षा बोर्ड                -राजस्थान लोक सेवा आयोग

-राजस्व मण्डल                          -एम.डी.एस. विश्विद्यालय

-रेल्वे पुलिस मुख्यालय

पुष्कर→

-तीर्थों का मामा                  -ब्रह्मा जी का मंदिर

-फूलों की मण्डी                -हॉर्स सफारी

सुरसुरा → तेजाजी की मृत्यु

सलेमाबाद → निम्बार्क सम्प्रदाय का केन्द्र

तिलोनिया → सामाजिक कार्य शोध केन्द्र (SWRC), बेयर फूट संस्थान तथा अरुणा राय की कर्मस्थली

किशनगढ़ →

  • केन्द्रीय विश्वविद्यालय (बांदरसिंदरी गाँव)
  • नौ ग्रहों का मन्दिर
  • बणी-ठणी चित्रशैली
  • संगमरमर की मण्डी

रामसर → केन्द्रीय बकरी विकास एवं चारा उत्पादन केन्द्र

सरवाड़ → मथूराधीश का मंदिर, कालूमीर की मजार, ख्वाजा फखरुद्दीन की दरगाह

टांटोली → प्राचीन जैन प्रतिमाएँ

भिनाय → सहकारिता का प्रारम्भ (1905)

तबीजी → राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केन्द्र

मसूदा → राज्य का प्रथम सम्पूर्ण साक्षर गाँव

ब्यावर → बादशाह मेला, तिलपट्टी के लिए प्रसिद्ध, श्री सीमेंट कंपनी, राज्य की प्रथम सूती वस्त्र मिल (दी कृष्णा मिल्स लि., 1889)

जेठाना → 600 मेगावाट का पावर ग्रिडस्टेरशन

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