Jaisalmer District GK in Hindi

जैसलमेर जिला दर्शन (राजस्‍थान के जिले)

Jaisalmer District GK in Hindi / Jaisalmer Jila Darshan

जैसलमेर का भौगोलिक विवरण –

जैसलमेर जिले का कुल क्षेत्रफल – 38,401 वर्ग किलोमीटर

नगरीय क्षेत्रफल – 134.27 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 38,266.73 वर्ग किलोमीटर है।

जैसलमेर जिले की मानचित्र स्थिति – 26°1′ से 28°2′ उत्तरी अक्षांश तथा 69°29′ से 72°20′ पूर्वी देशान्‍तर है।

जैसलमेर जिले में कुल वनक्षेत्र – 588.17 वर्ग किलोमीटर

राजस्थान के सबसे पश्चिम में कटरा गाँव सम तहसील, जैसलमेर जिला है।

जैसलमेर का आकार सप्तबहुभुजाकार है।

जैसलमेर की सीमा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा, पाकिस्तान के साथ लगती है। यह राजस्‍थान के जिलों में में सबसे लम्‍बी 464 किलोमीटर है।

शाहगढ़ बल्ख—राजस्थान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर जैसलमेर के शाहगढ़ बल्ख गाँव में 40 मीटर तक तारबंदी नहीं है। यहाँ पर सुरक्षा हेतु BSF की सेना लगी हुई है।

यह राजस्थान का सबसे बड़ा जिला –38,401 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।

लाठी सीरीज क्षेत्र जैसलमेर के पोकरण से मोहनगढ़ का क्षेत्र कहलाता है। इस क्षेत्र में सेवण घास पायी जाती है, जिसे स्थानीय भाषा में लीलोण कहते हैं, इसका वानस्पतिक नाम लसियुरिस सिडीकुस है। लाठी सीरीज 60 मीटर चौड़ी एक भूगर्भिक जल पट्टी है।

जैसलमेर के प्रमुख रन क्षेत्र—कनोड़, बरमसर, भाकरी, पोकरण है।

जैसलमेर जिलें में विधानसभा क्षेत्रों की संख्‍या 2 है –

1. जैसलमेर

2. पोकरण

उपखण्‍डों की संख्‍या – 3

तहसीलों की संख्‍या – 3

उपतहसीलों की संख्‍या – 4

ग्राम पंचायतों की संख्‍या – 128

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जैसलमेर जिले की जनसंख्‍या के आंकड़ें –

कुल जनसंख्या—6,69,919

पुरुष—3,61,708, स्त्री—3,08,211

दशकीय वृद्धि दर—31.8%, लिंगानुपात—852

जनसंख्या घनत्व—17(न्यूनतम), साक्षरता दर—57.2%

पुरुष साक्षरता—72%, महिला साक्षरता—39.7%

जैसलमेर का ऐतिहासिक विवरण –

जैसलमेर की नींव राव जैसल ने 1155 ई. में इंसाल ऋषि की सलाह पर रखी।

राजस्थान एकीकरण के चतुर्थ चरण (वृहत राजस्थान—30 मार्च, 1949) में जैसलमेर को राजस्थान में शामिल किया।

06.10.1949 को जैसलमेर रियासत को पृथक जिले का नाम मिला, सन् 1953 में इसे जोधपुर जिले में शामिल कर उपखण्‍ड का दर्जा मिला, सन् 1954 में जैसलमेर को पुन: जिला बनाया गया।

जैसलमेर की प्रमुख नदियाँ एवं जल स्रोत –

काकनी/काकनेय/ मसूरदी नदी—यह नदी जैसलमेर से लगभग 27 किलोमीटर दूर दक्षिण में कोठारी/कोटरी गाँव से निकलती है। यह कुछ ही किलोमीटर बहने के बाद लुप्‍त हो जाती है। यह नदी आंतरिक प्रवाह की सबसे छोटी नदी है। लेकिन प्रदेश में अच्‍छी वर्षा होने पर यह काफी दूर तक बहती है तब यह नदी स्‍थानीय भाषा में मसूरदी नदी के नाम से जानी जाती है। यह काफी दूर तक पहले उत्‍तर की दिशा में फिर पश्चिम की तरफ बहते हुए बुझ/बुज झील में गिरती है। बुझ झील का निर्माण इसी नदी के द्वारा होता है। भारी वर्षा के दिनों में यह नदी अपने सामान्‍य पथ से हटकर निरन्‍तर उत्तरी दिशा में सीधे ही लगभग 20 किलोमीटर तक बहते हुए मीठा खाड़ी में गिर जाती है। इस प्रकार काकनी नदी तीन अवस्‍थाओं में बहती है, लेकिन यह सब जल आपूर्ति पर निर्भर रहता है।

जैसलमेर की अन्‍य नदियों में लाठी, चांघण, धऊआ, धोगड़ी आदि के नाम आते है।

अन्य जलाशय—कावोद झील—यह खारे पानी की झील है, इस झील का नमक आयोडीन की दृष्टि से सबसे अच्छा नमक है।

गढ़ीसर—1340 ई. में गड़सीसिंह ने करवाया ।

जैसलमेर की अन्‍य झीले—धारसी सागर, अमरसागर, बुझ झील आदि है।

राजस्‍थान राज्‍य में सर्वाधिक बंजर भूमि—जैसलमेर जिले में है।

जैसलमेर के वन्‍य जीव अभयारण्‍य—

राष्ट्रीय मरु उद्यान—राज्‍य सरकार ने 4 अगस्‍त, 1980 को वन्‍य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अन्‍तर्गत्‍ 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र (1900 वर्ग किलोमीटर जैसलमेर तथा 1262 वर्ग किलोमीटर बाड़मेर में) को राष्‍ट्रीय मरू उद्यान घोषित किया। यह जैसलमेर व बाड़मेर में विस्‍तृत है। कहने को तो यह राष्‍ट्रीय मरू उद्यान है, परन्‍तु वास्‍तव में यह एक अभयारण्‍य ही है। राज्‍य सरकार ने इसे राष्‍ट्रीय मरू उद्यान घोषित करने की इच्‍छा 8 मई,1981 को भारतीय वन्‍य जीव संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत जारी एक अधिसूचना के माध्‍यम से जरूर प्रकट की है। यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा वन्य जीव अभयारण है। इसका क्षेत्रफल—3162 वर्ग किमी. है। इस अभयारण्‍य में प्राकृतिक वनस्‍पति को सुरक्षित रखने हेतु करोड़ों वर्ष से पृथ्‍वी के गर्भ में दबे हुए जीवाविशेषों को संरक्षण प्रदान करने तथा उनके लिये उपर्युक्‍त वातावरण प्रदान करना ही मुख्‍य उद्देश्‍य है। राष्‍ट्रीय मरू उद्यान में ‘आकल वुड फासिल पार्क’ जैसलमेर से लगभग 15 किलोमीटर दूर बाड़मेर रोड के समीप स्थित है। इस क्षेत्र में 18 करोड़ वर्ष पुराने पेड़-पौधों के ‘काष्‍ठावशेष’ फैले हुए है। मरू उद्यान को राज्य पक्षी गोडावण की शरणस्थली कहा जाता है। गोडावन के अलावा मरू उद्यान में काले हिरण, चिंकारा, चौसिंघा, वन्‍य जीव पिजरा, मरू बिल्‍ली, लोमड़ी, गोह, खरगोश, ग्रे-पेट्रीज, सेण्‍ड ग्राउज, प्रवाही पक्षियों में हुबारा बस्‍टर्ड, स्‍पेनिश स्‍पेरा, कामन केन्‍स तथा सरीसृप में कोबरा, पीवणा व रसल्‍स वाइपर आदि विचरण करते है।

वुड फोसिल्स पार्क—यह आकल गाँव जैसलमेर में है, इस पार्क में लगभग 18 करोड़ वर्ष प्राचीन 25 फॉसिल्स विद्यमान है।

जैसलमेर के शाहगढ़ बल्ख क्षेत्र को केन्द्र सरकार ने देश का प्रथम चीता अभयारण घोषित किया है।

जैसलमेर के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्‍थल —

जैसलमेर दुर्ग—इसके उपनाम सोनार का किला, त्रिकूटगढ़, राजस्थान का अण्डमान, रेगिस्तान का गुलाब, गलियों का दुर्ग, गोरहरा दुर्ग, जैसाणगढ़, स्वर्णगिरि, पश्चिमी सीमा का प्रहरी आदि है। इस दुर्ग की नींव महारावल जैसलदेव ने 12 जुलाई, 1155 ई. में रखी लेकिन अधिकतर निर्माण शालिवाहन द्वितीय ने करवाया। यह दुर्ग अंगड़ाई लिए हुए सिंह के समान प्रतीत होता है। इस दुर्ग के निर्माण में चूने का प्रयोग नहीं किया हुआ है। यह दुर्ग पीले पत्‍थरों से बना होने के कारण प्रात: व सांयकाल स्‍वर्णिम आभा लिए होता है, इसलिए इसे ‘सोनार किला’ भी कहते हैं। एक मात्र ऐसा दुर्ग जिसकी छत लकड़ी की बनी हुई है। इस दुर्ग के महलों के दरवाजों व छतों को सुरक्षित रखने के लिए गौमूत्र का लेप किया जाता है। अबुल फजल—’इस दुर्ग तक पहुँचने के लिए पत्थर की टाँगे चाहिए।’ इस दुर्ग में स्थित लक्ष्‍मीनारायण मंदिर को 1437 ई. में महारावल वैरसी ने बनवाया था।

इस दुर्ग के प्रवेश द्वार अक्षयपोल, सूरजपोल, गणेशपोल, हवापोल आदि है। इस दुर्ग में जैसलू कुआँ है, जिसका निर्माण किंवदिति के अनुसार श्रीकृष्‍ण ने अपने सुदर्शन चक्र से किया था। जैसलमेर दुर्ग, चित्तौड़गढ़ दुर्ग के बाद राज्‍य का दूसरा सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट है। इस दुर्ग में 99 बुर्ज है। जैसलमेर के भाटी शासकों को उत्तरी ‘भट्किवाड़ भाटी’ उपाधि से नवाजा गया है। इस दुर्ग पर सत्‍यजीत रे ने ‘सोनार किला’ फिल्‍म बनाई थी। जैसलमेर दुर्ग को उत्तरी सीमा का प्रहरी माना जाता है। इस दुर्ग के बारे में निम्‍न दोहा प्रचलित है-

गढ़ दिल्‍ली गढ़ आगरो, अधगढ़ बीकानेर।

भलो चिणायो भाटियों, सिरे तो जैसलमेर।।

भड़ किंवाड़ उत्तरार्ध रा, भाटी झालण भार।

वचन राखो ब्रिजराज रा, समहर बाँधो सार।।

जैसलमेर दुर्ग के ढ़ाई साके प्रसिद्ध हैं।

प्रथम साका—अलाउद्दीन खिलजी व मूलराज के मध्य युद्ध हुआ। मूलराज ने केसरिया व रानियों ने जौहर किया।

द्वितीय साका—1357 में फिरोजशाह तुगलक व रावल दूदा के मध्य।

तृतीय अर्द्ध साका—1550 में कांधार के अमीर अली व लूणकरण के मध्य। लूणकरण ने केसरिया तो किया परन्तु रानियों के जौहर नहीं किया। अत: यह अर्द्धसाका कहलाया।

तनोट माता/तनोटिया माता, तनोट (जैसलमेर)— उपनाम—भोजासरी/देगराय/सैनिकों की देवी/थार की वैष्णो देवी/रूमाली माता। इस माता की पूजा सीमा सुरक्षा बल के जवान करते है। राजस्थान का एक मात्र ऐसा मन्दिर जो सेना के अधीन है। इस माता के मन्दिर के सामने भारत की पाकिस्तान पर 1965 के युद्ध की विजय का विजय स्तम्भ लगा हुआ है।

स्वांगिया/सांगिया/सुग्गा माता—जैसलमेर के भाटी राजवंश की कुल देवी।

हिंग्लाज माता—गड़सीसर (जैसलमेर) इस माता की पूजा राजस्थान का क्षत्रिय व चारण समाज करता है। इस माता का मूल मंदिर ब्लूचिस्तान (पाकिस्तान) में है। यह माता चर्म रोग दूर करती है।

रामदेवरा—साम्प्रदायिक सद्भावना के लोक देवता, पीरों के पीर, रुणेचा रा धणी रामदेवजी का स्थल।

मुख्य बातें—रामदेवजी ने कामडि़य़ा पंथ चलाया, भैरव राक्षस का वध किया, रुणेचा/रामदेवरा बसाया। मुस्लिमों को पुन: हिन्दु बनाने के लिए शुद्धि/परावर्तन आन्दोलन चलाया। रामदेवजी का गीत लोकदेवताओं में सबसे लम्बा (48 मिनट) है। 5 रंगों की ध्वजा-नेजा, पुजारी-रिखिया, जागरण-जम्मा, कहलाता है।

मेला-भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी। रामदेवजी की फड़ ब्यावले भक्तों द्वारा बांची जाती है। कदम्ब वृक्ष के नीचे रामदेवजी का थान होता है।

एकमात्र लोकदेवता जो कवि थे (ग्रन्थ-24 वाणियां) तथा एकमात्र लोकदेवता जिन्होंने जीवित समाधि ली।

लोद्रवा के पार्श्‍वनाथ मन्दिर—लोद्रवा, यह प्राचीन युगल प्रेमी मूमल व मेहन्द्रा का प्रणय स्थल है।

पटुवों की हवेली—यह 5 मंजिला है। यह हवेली पत्थरों की जाली व कटाई के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

नथमल की हवेली—इसका निर्माण 1881 से 1885 के बीच लालू व हाथी नामक दो भाइयों ने करवाया।

सालिम सिंह की हवेली—यह 9 मंजिला है, इसे कमल महल व रूप महल के नाम से भी जाना जाता है, इसकी 8वीं व 9वीं मंजिल लकड़ी से बनी हुई हैं।

जैसलमेर की अन्य हवेलियाँ—सोढ़ों की हवेली, राव राजा बर्सलपुर की हवेली, दीवान आचार्य ईश्वरलाल की हवेली।

बादल विलास महल—यह पाँच मंजिला इमारत जैसलमेर दुर्ग में है। इस महल पर ब्रिटेन की वास्तुकला की छाप दिखाई पड़ती है।

लक्ष्मीनारायण का मन्दिर—1437 में महाराजा बैरीशाल ने करवाया। जैसलमेर के शासक लक्ष्मीनारायण जी को जैसलमेर का शासक मानते थे एवं स्वयं को उनका दीवान मानते थे।

जिनभद्र सूरी भण्डार—जैसलमेर दुर्ग में जैन पाण्डु लिपि (ताड़ के पतों पर) हस्तलिखित ग्रन्थों का सबसे बड़ा भण्डार है। जिनके लेखक जिनभद्र सूरी है।

जैसलमेर दुर्ग के बारे में कथन—”गढ़ दिल्ली, गढ़ आगरो अधगढ़ बीकानेर, भलो चिणायो भाटियों सिरें तो जैसलमेर।”

फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे ने जैसलमेर दुर्ग पर सोनार किला नामक फिल्म बनाई।

जैसलमेर दुर्ग की आकृति—रेत के समुद्र में लंगर लिए हुए जहाज के समान है।

जैसलमेर जिले के अन्‍य महत्त्वपूर्ण तथ्‍य-

सागरमल गोपा—प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी गोपाजी का जन्म 3 नवम्बर 1900 ई. को जैसलमेर में हुआ। 4 अप्रैल, 1946 को अमानवीय व्यवहार (केरोसीन द्वारा जलाया गया) के कारण जेल में निधन। इनकी पुस्तकें—आजादी के दीवाने, जैसलमेर में गुण्डाराज।

जैसलमेर में गणगौर पर केवल गौर की पूजा की जाती है। ईसर की नहीं तथा यहाँ पर गणगौर की सवारी चैत्र शुक्ल तीज की जगह चतुर्थी को निकाली जाती है।

मरु महोत्सव—जैसलमेर में जनवरी-फरवरी में मनाया जाता है।

पोकरण पॉटरी, ऊनी कम्बल, रामदेव जी के घोड़े जैसलमेर के प्रसिद्ध है।

बड़ा बाग की छतरियाँ—भाटी वंश के शासकों की छतरियाँ।

जैसलमेर में ‘मूमल’ गीत सर्वाधिक लोकप्रिय है।

रम्मत लोकनाट्य—उद्गम-जैसलमेर।

भारत सरकार ने अपना पहला परमाणु परीक्षण (बुद्ध मुस्कराये, Smiling Buddha) 18 मई, 1974 को तथा दूसरा 11 व 13 मई, 1998 को पोकरण में किया।

जैसलमेर चित्रशैली के आकर्षण का केन्द्र—मूमल।

एशिया का सबसे ऊँचा टी.वी.टावर (300 मीटर)—रामगढ़।

केक्टस गार्डन—कुलधरा गाँव (जैसलमेर)।

राजस्थान का पहला सौर ऊर्जा संयंत्र—जैसलमेर।

भाटी शासकों की प्राचीन राजधानी-लोद्रवा।

राज्य का सम्पूर्ण वनस्पति रहित क्षेत्र—सम गाँव।

राज्य का प्रथम खनिज तेल कुआँ—तनोट (प्राकृतिक गैस के लिए भी प्रसिद्ध)।

चाँदन गाँव सम तहसील में नलकूप खोदा गया जहाँ कम गहराई में काफी मात्रा में मीठा जल प्राप्त हुआ। इसलिए इसे थार का घड़ा/चाँदन नलकूप कहते हैं।

इंदिरा गाँधी मुख्य नहर का अंतिम छोर मोहनगढ़ जैसलमेर तक है।

भैरूदान चालानी लिफ्ट नहर (इंदिरा गांधी नहर पर) जैसलमेर में प्रस्तावित है।

थारपारकर नस्ल की गौवंश का प्रजनन केन्द्र-चाँदन।

जैसलमेरी भेड़ का प्रजनन व अनुसंधान केन्द्र—पोकरण।

जैसलमेरी ऊँट—सवारी व तेज दौडऩे में प्रसिद्ध है।

नाचना (जैसलमेर) का ऊँट अपनी सुंदरता के कारण सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध। भारतीय सेना के जवानों द्वारा प्रयुक्त।

राजस्थान की प्रथम गैस आधारित परियोजना-रामगढ़।

राज्य में सबसे बड़ा पवन ऊर्जा संयत्र—सोढ़ा बंधन।

पोकरण में विश्व का सबसे बड़ा भूमिगत पुस्तकालय है।

देश का पहला चारा बैंक-जैसलमेर।

विलेज रिर्सोट सेन्टर—राज्य का प्रथम व भारत का आठवाँ।

कुण्डा—यहाँ 500 वर्ष पुरानी सभ्यता के अवेशष।

सातलमेर पोकरण की प्राचीन राजधानी है, जहाँ भैरव राक्षस का वध हुआ।

पनराजजी का मेला पनराजसर जैसलमेर में लगता है।

डेजर्ट सफारी—कैप्टन संदीप यादव के नेतृत्व में सेना का अभियान सम के टीलों में।

पर्यटन को बढ़ावा हेतु जैसलमेर में सिविल एयरपोर्ट की स्थापना।

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