भारतीय इतिहास के पुरातात्‍व‍िक स्रोत

भारतीय इतिहास के स्रोत पुरातात्‍व‍िक स्रोत

भारतीय इतिहास के स्रोतों को मुख्यत: तीन भागों में बाँट सकते है—

1. पुरातात्विक स्त्रोत

पुरातात्विक स्रोतों में—अभिलेख, सिक्के, मुद्राएँ व पुरा अवशेष अर्थात् आभूषण, उपकरण व स्मारक मुख्य है।

I. अभिलेख :

  • अभिलेखो के अध्ययन की शाखा को ‘एपीग्राफी’ कहा जाता है।
  • ये स्त्रोत सबसे प्रामाणिक व विश्वसनीय माने जाते हैं क्योंकि ये तत्कालिक होते हैं तथा इनमें कोई फेरबदल नहीं किया जा सकता।
  • विश्व का सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख बोगजकोई (मध्य एशिया) 1400 ई.पूर्व से प्राप्त हुआ है।
  • भारत में सर्वाधिक अभिलेख मैसूर (कर्नाटक) से प्राप्त हुए है।
  • भारत के सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख अशोक के अभिलेख है जो कि ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरमाइक व यूनानी लिपी में है परन्तु अधिकतर की भाषा प्राकृत व लिपि ब्राह्मी है।
  • अशोक के अभिलेखों की प्रेरणा ईरानी सम्राट दारा (डेरियम-ढ्ढ) से मिली थी।
  • अशोक के अभिलेखों को सबसे पहले 1750 में टिफेन्थलर ने खोजा जबकि 1837 में जेम्स प्रिंसेप ने अशोक के अभिलेखों को पढऩे में प्रथम सफलता प्राप्त की थी।
  • अशोक के अभिलेखों में अशोक का नाम ”देवानपियदसि” मिलता है तथा पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन कहा गया है।
  • नोट:-मास्की, गुर्जरा, उद्गोलम व निट्टूर को मिले चार ही ऐसे अभिलेख है जिनमें अशोक का नाम मिलता है।
  • नोट:—विलियम जोन्स प्राचीन भारतीय इतिहास का पथ प्रदर्शक माना जाता है। इन्होंने ही पहली बार मैग्स्थनीज की इंडिका में वर्णित ‘पोलीब्रोथा’ को पाटलीपुत्र व सेण्ड्रोकोट्टस को चन्द्रगुप्त मौर्य बताया था।
  • अभिज्ञान शाकुन्तलम् व ऋग्वेद का अंग्रेजी अनुवाद सबसे पहले विलियम जोन्स ने ही किया था।
  • प्राचीन भारत का पहला सुव्यवस्थित इतिहास लिखने का श्रेय बिन्सेंट स्मिथ को जाता है। जिन्होंने ‘अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ पुस्तक लिखी।
  • पहला गैरसरकारी अभिलेख है हेलियोडोरस का वेस नगर का (विदिशा) अभिलेख है। जिसे विष्णु स्तम्भ लेख के नाम से भी जाना जाता है।
  • गरुड़ स्तम्भ से दूसरी सदी में भागवत् धर्म की उन्नति का उल्लेख मिलता है।
  • संस्कृत भाषा का सबसे प्राचीन अभिलेख रुद्रदामन का जूनागढ़ (गुजरात) अभिलेख है। यह अभिलेख एकमात्र अभिलेख है जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक व रुद्रदामन-I सहित तीन शासकों का उल्लेख मिलता है।
  • समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख प्रयाग प्रशस्ति से मिलता है। जिसे समुद्रगुप्त के राजकवि हरिषेण ने उत्कीर्ण करवाया था।
  • हर्षवर्धन की पुलकेशिन द्वितीय से हार का वर्णन ऐहोल प्रशस्ति में मिलता है जिसे पुलकेशिन द्वितीय के दरवारी कवि रविकीर्ति ने उत्कीर्ण करवाया था।
  • स्कंदगुप्त के समय हूणो के आक्रमण व स्कंदगुप्त की जानकारी भीतरी अभिलेख से मिलती है।
  • भानुगुप्त के एरण अभिलेख (510 ई. का) ‘सती प्रथाÓ का प्राचीनतम अभिलेखीय साक्ष्य है।

 

II. सिक्के:

  • सिक्कों के अध्ययन की शाखा को ‘न्यूमिस्मेटिक्स’ (मुद्रा शास्त्र) कहा जाता है।
  • भारत के प्राचीनतम सिक्के आहत सिक्के कहलाते हैं जो लेख रहित है।
  • 1835 में जेम्स प्रिसेंप ने इसे पंचमार्क कहा है। क्योंकि इन सिक्कों पर पेड़, मछली, सांड, हाथी, अद्र्धचन्द्र चिन्ह ठप्पे लगाकर बनाये जाते थे।
  • ये ठप्पे मारकर बनाये जाते थे। इसलिए इन्हें आहत सिक्के कहा गया है।
  • भारत में सर्वप्रथम सिक्के चाँदी के प्राप्त हुए है।
  •  नोट:—उल्लेखनीय है चाँदी का तत्सम रूपक होता है इसलिए मौर्यकाल में सिक्को की निगरानी रखने वाला अधिकारी को रूपदर्शक और वर्तमान में यह सिक्का रुपया कहलाया।
  • सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी करने का श्रेय हिन्द यवन शासक (इण्डोग्रीक) मिनेण्डर को जाता है।
  • व्यापारिक आधार पर सोने के सिक्के सर्वप्रथम जारी करने का श्रेय विम कडफिस को जाता है।
  • महात्मा बुद्ध का चित्र पहली बार सिक्कों पर उत्कीर्ण करवाने का श्रेय कुषाण शासक कनिष्क को जाता है।
  • चन्द्रगुप्त प्रथम वह प्रथम भारतीय शासक था जिसने सिक्कों पर अपनी रानी कुमारदेवी का चित्र उत्कीर्ण करवाया।
  • समुद्रगुप्त वह पहला शासक था जिसने अपनी रुचि संगीत पे्रम को सिक्कों पर उत्कीर्ण करवाया जिसमें उसे वीणा बजाते हुए दिखाया गया है।
  • समुद्रगुप्त ने अपने सिक्कों पर ‘अश्वमेघ पराक्रम’ वाक्यांश उत्कीर्ण करवाया।
  • शुद्ध अरबी ढंग के सिक्के चलाने का श्रेय गुलाम वंश के वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश को जाता है।
  • इल्तुतमिश के चाँदी के सिक्के ‘टंका’ व ताँबे के सिक्के ‘जीतल’ कहलाते हैं।
  • मोहम्मद गौरी ने अपने सिक्कों पर लक्ष्मी की प्रतिमा (आकृति) उत्कीर्ण करवायी थी। जबकि अकबर ऐसा शासक रहा है जिसने अपने चित्रों पर ‘रामसियाÓ वाक्यांश उत्कीर्ण करवाया था।
  • चमड़े के सिक्के जारी करने का श्रेय एक दिन के बादशाह निजामुद्दीन भिश्ती को जाता है।
  • सर्वाधिक सोने के सिक्के गुप्तकाल में जारी हुये इसलिए गुप्तकाल को ‘प्राचीन भारत का स्वर्णकालÓ कहा जाता है।
  • सीसे के सिक्के जारी करने का श्रेय सातवाहन शासक को जाता है।
  • रुपया चलाने का श्रेय शेरशाह सूरी को जाता है।
  • शक व इण्डो-पार्थियन राजवंश की जानकारी का स्त्रोत मुख्य सिक्के है।

 

III. पुरा अवशेष :

  • बामयान (अफगानिस्तान) में बुद्ध की सबसे बड़ी प्रतिमा मिली थी जिसे तालिबान विद्राहियों द्वारा तोड़ दिया गया है। जिसे पुन: बनाया जा रहा है।
  • अंकोरवाट (कम्बोडिया) में विष्णु का सबसे बड़ा मंदिर मिला है।
  • बोरोबुदूर (जावा-इण्डोनेशिया) में विशाल बौद्ध स्तूप मिला है।

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